"अश्विनीकुमार (वैदिक देवता)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Rescuing 2 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
||
पंक्ति 16:
}}
[[वैदिक साहित्य]] और [[हिन्दू धर्म]] में 'अश्विनौ' यानि दो अश्विनों का उल्लेख देवता के रूप में मिलता है जिन्हें '''अश्विनीकुमार''' या '''अश्वदेव''' के नाम से जाना जाता है। ऋग्वेद में ३९८ बार अश्विनीकुमारों का उल्लेख हुआ है,<ref>Frame, Douglas (2009). [https://chs.harvard.edu/CHS/article/display/5466.ch-3-vedic "Hippota Nestor - 3. Vedic"] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190805010206/https://chs.harvard.edu/CHS/article/display/5466.ch-3-vedic |date=5 अगस्त 2019 }}. Center for Hellenic Studies]</ref> और ५० से अधिक ऋचाएँ केवल उनकी ही स्तुति के लिए हैं।<ref>West, Martin L. (2007). [https://books.google.fr/books?id=ZXrJA_5LKlYC Indo-European Poetry and Myth] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20191229033339/https://books.google.fr/books?id=ZXrJA_5LKlYC |date=29 दिसंबर 2019 }}. Oxford University Press. ISBN 978-0-19-928075-9.</ref> ऋग्वेद में दोनों कुमारों के अलग-अलग नाम कहीं नहीं आते, सर्वत्र दोनों को द्विवचन में 'अश्विनीकुमारौ' नाम से विधित किया गया है।
दोनों अश्विनीकुमार प्रभात के जुड़वा देवता और [[आयुर्वेद]] के आदि आचार्य माने जाते हैं। ये [[देव|देवों]] के चिकित्सक और रोगमुक्त करनेवाले हैं। वे कुमारियों को पति माने जाते हैं। वृद्धों को तारूण्य, अन्धों को नेत्र देनेवाले कहे गए हैं। [[महाभारत]] के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] उन्हीं के पुत्र थे (दोनों को 'अश्विनेय' कहते हैं)।
|