"अमर सिंह प्रथम": अवतरणों में अंतर

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1622 में पिता से बगावत करके शहजादे खुर्रम कुछ दिन मेवाड रुके थे और इसी के चलते उनमें और महाराणा कर्ण सिंह -II में गहरी दोस्ती भी हो गई थी। बाद में शहजादे के बादशाह बनने की जंग में महाराणा कर्ण सिंह -II ने भी उनका साथ दिया था और मुगल सम्राट बनने के बाद शहंशाह शाहज़हां ने अपने महाराणा कर्ण सिंह -II को बहुत ऊंचा स्थान दिया था।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[दिवेर का युद्ध]]
 
==सन्दर्भ==