"अनुलोम-विलोम प्राणायाम": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
QueerEcofeminist के अवतरण 4689413पर वापस ले जाया गया : - (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 1:
{{अस्पष्ट|date=सितंबर 2014}}
 
{{ज्ञानकोषीय नहीं|date=सितंबर 2014}}
{{प्रतिलिपि सम्पादन|date=सितंबर 2014}}
अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात '''अनुलोम-विलोम प्राणायाम''' में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को कुछ योगीगण 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। उनके अनुसार इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे स्वच्छ व निरोग बनी रहती है। इस प्राणायाम के अभ्यासी को वृद्धावस्था में भी गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें नहीं होतीं।
 
== विधि ==
 
- अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से 104 तक की गिनती में सांस को भरे और फिर 20 की गिनती तक रोके बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बन्दबंद रखनाकर है।दें। तत्पश्चात दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और दायीं नासिका से सांस को 10 की गिनती में बाहर निकालें।
 
- अब दायीं नासिका से ही सांस को 104 की गिनती तक भरे और 20 की गिनती तक रोके उसके पश्चात दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 108 की गिनती में बाहर निकालें।
 
- इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर सकते है।
 
== लाभ ==
 
* फेफड़े शक्तिशाली होते है।
* सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
* हृदय बलवान होता है।
* गठिया के लिए फायदेमंद है।
* मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।
* पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
* तनाव और चिंता को कम करता है।
* पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
 
== सावधानियां ==
Line 60 ⟶ 73:
दमा का रोग जड़ से चला जाता है ा
* अनुलोम विलोम के करने से कोई भी एलर्जी जड़ से खत्म हो जाती है।
*फेफड़े शक्तिशाली होते है।
*सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
*हृदय बलवान होता है।
*गठिया के लिए फायदेमंद है।
*मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।
*पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
*तनाव और चिंता को कम करता है।
*पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
 
[[श्रेणी:चित्र जोड़ें]]