"विद्युत जनित्र": अवतरणों में अंतर

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पार्श्व चित्र में दिष्टधारा जनित्र का [[तुल्य परिपथ]] दिया गया है। इसमें जनित्र को एक आदर्श वोल्टता स्रोत तथा उसके श्रेणीक्रम में जुड़े एक प्रतिरोध द्वारा निरूपित किया गया है। श्रेणीक्रम में जुड़े इस प्रतिरोध को जनित्र का 'आन्तरिक प्रतिरोध' कहा जाता है। जनित्र के <math>V_\text{G}</math> तथा <math>R_\text{G}</math> के मान छोटा सा प्रयोग और सरल गणना द्वारा किया जा सकता है। जनित्र को पूर्ण चाल से घुमाने पर, और बिना किसी लोड के जुड़े होने पर, उसके सिरों के बीच जो वोल्टेज मिलता है वही <math>V_\text{G}</math> का मान होगा। <math>R_\text{G}</math> का मान वाइंडिंग के प्रतिरोध को मापकर प्राप्त किया जा सकता है किन्तु इसे गणना द्वारा निकालना अधिक अच्छा विकल्प है। इसके लिए जनित्र का बिना लोड पर वोल्टेज और किसी ज्ञात लोड (धारा) पर वोल्टेज मापा जाता है और निम्नलिखित गणना द्वारा <math>R_\text{G}</math> का मान निकाला जा सकता है-
: <math>R_\text{G} = ( V_\text{G} - V_\text{G} ) </math>/ लोड धारा </math>
 
== विभिन्न प्रकार के विद्युतजनित्र ==