"धर्म के लक्षण": अवतरणों में अंतर
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== मनुस्मृति ==
[[मनु]] ने धर्म के दस लक्षण गिनाए हैं:
: '''धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।'''
: '''धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।''' (मनुस्मृति ६.
अर्थ – धृति (धैर्य ), क्षमा (अपना अपकार करने वाले का भी उपकार करना ), दम (हमेशा संयम से धर्म में लगे रहना ), अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( भीतर और बाहर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को हमेशा धर्माचरण में लगाना ), धी ( सत्कर्मों से बुद्धि को बढ़ाना ), विद्या (यथार्थ ज्ञान लेना ). सत्यम ( हमेशा सत्य का आचरण करना ) और अक्रोध ( क्रोध को छोड़कर हमेशा शांत रहना )।
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== श्रीमद्भागवत ==
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: सत्यं दया तप: शौचं तितिक्षेक्षा शमो दम:।
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== बाहरी कड़ियाँ ==
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[[श्रेणी:धर्म]]
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