"अंकगणित": अवतरणों में अंतर
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मनुष्य आरम्भ से ही सामाजिक प्राणी रहा है तथा अपने प्रारम्भिक काल में [[कबीला]] बना कर रहा करता था। जब कबीले के सदस्यों में वृद्धि होने पर उनकी गिनती करने के लिये अंकों की आवश्यकता पड़ी। [[अंक]] बनाने के लिये मनुष्य की [[उंगली|अंगुलियाँ]] आधार बनीं। अंको के इतिहास के विषय में बहुत कम जानकारियाँ उपलब्ध हैं। कहा जाता है कि ईसा पूर्व 1850 में बेबीलोन के निवासी गणित की प्रारम्भिक प्रक्रियाओं से अच्छी तरह से परिचित थे। [[भारत]] में अंकगणित का ज्ञान अत्यन्त प्राचीनकाल से रहा है तथा वेदों में गणितीय प्रक्रियाओं का उल्लेख है। [[शून्य]] भी भारत की ही देन है।
== अंक और संख्या ==
[[शून्य]] (०) से लेकर [[नौ]] (९) को प्रदर्शित करने वाले संकेतों को अंक कहते हैं। अंक ही गणित का मूल है। दैनिक जीवन के अधिकांश कार्यों में अंकों का प्रयोग होता है।
एक से अधिक अंकों को एक के पास एक रखने से संख्या बनती है। अंक केवल दस होते हैं, किन्तु संख्याएँ अनन्त हैं। उदाहरण के लिए ३४७२ (तीन हजार चार सौ बहत्तर) एक संख्या है जिसमें ३, ४, ७, और २ अंक प्रयुक्त हुए हैं।▼
▲एक से अधिक अंकों को एक के पास एक रखने से संख्या बनती है। अंक केवल दस होते हैं किन्तु संख्याएँ अनन्त हैं।
== अंकगणित की मूल प्रक्रियाएँ ==
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