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'''पाटण''' [[भारत]] के [[गुजरात]] प्रदेश का जिला एवं जिला-मुख्यालय है। यह एक प्राचीन नगर है जिसकी स्थापना ७४५ ई में [[वनराज छावडा]] ने की थी। राजा ने इसका नाम 'अन्हिलपुर पाटण' या 'अन्हिलवाड़ पाटन' रखा था। यह मध्यकाल में गुजरात की [[राजधानी]] हुआ करता था। इस नगर में बहुत से ऐतिहास स्थल हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन मन्दिर, [[रानी की वाव]] आदि प्रसिद्ध हैं।
== इतिहास ==
पाटण का प्राचीन नाम 'अण्हीलपुर ' है। प्राचीन समय में पाटण भील प्रदेश के रूप में जाना जाता था , राजा अण्हील भील अण्हीलपुर के शासक थे । जब पचासर के चावड़ा गुर्जर अपना राज्य कल्याण कटक के चालुक्य भुहड़ से हार गए तब उनकी पत्नी अपने नन्हे बच्चे को लेकर भील प्रदेश में शरण लेने आयी , जहां भीलों ने उनकी सहायता करी और उस बच्चे को वनराज नाम दिया क्योंकि वह जंगल में भीलों के साथ बड़ा हुआ था , आगे चलकर वहीं वनराज चावड़ा , राजा अण्हील भील के बाद अण्हीलपुर का शासक बना ।
 
 
पाटण का प्राचीन नाम 'अन्हिलपुर' है। प्राचीन काल में इसे मुसलमानों ने खंडहर बना दिया था, उन्हीं खंडहरों पर पुन: नवीन पाटन ने प्रगति की है। महाराज भीम की रानी उद्यामती का बनवाया भवन खंडहर अवस्था में अब भी विद्यमान है। नगर के दक्षिण में एक प्रसिद्ध खान सरोवर है। एक जैन मंदिर में वनराजा की मूर्ति भी दर्शनीय है। नवीन पाटन [[मराठा]] लोगों के प्रयास का फल है। यह [[सरस्वती नदी]] से डेढ किमी की दूरी पर है। जैन मंदिरों की संख्या यहाँ एक सौ से भी अधिक है, पर ये विशेष कलात्मक नहीं हैं। [[खादी]] के व्यवसाय में इधर काफी उन्नति हुई है।
 
== इन्हें भी देखें==