"अनुमान (तर्क)": अवतरणों में अंतर

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[[तर्कशास्त्र]] में '''अनुमान''' या '''अनुमिति''' (inference) [[तर्क-वितर्क]] द्वारा [[आधार (तर्क)|आधार]] [[कथन (तर्क)|कथनों]] से [[निष्कर्ष (तर्क)|तार्किक नष्कर्ष]] निकालने की प्रक्रिया को कहते हैं। अनुमिति के दो मुख्य प्रकार होते हैं: [[निगमनात्मक तर्क|निगमन]] (deduction) और [[आगमनात्मक तर्क|आगमन]] (induction)।<ref>Hacking, Ian (2011). An Introduction to Probability and Inductive Logic. Cambridge University Press. ISBN 0-521-77501-9.</ref><ref>McKay, David J.C. (2003). Information Theory, Inference, and Learning Algorithms. Cambridge University Press. ISBN 0-521-64298-1.</ref>
 
[[तर्कशास्त्र]] का विषय परोक्ष ज्ञान अथवा अनुमान है। तर्कशास्त्र का सम्बन्ध वास्तव में शुद्ध अनुमान के नियमों और सिद्धान्तों से है जिनका पालन कर हम सत्य परोक्ष ज्ञान की प्राप्ति कर सकें। तर्कशास्त्र शुद्ध तथा अशुद्ध अनुमान में भेद करने के तरीकों को हमारे सामने रखते हुए सही ढंग से अनुमान और तर्क करने के नियमों का निरूपण करता है। इस प्रकार तर्कशास्त्र का सम्बन्ध हमारे परोक्ष ज्ञान से है, जिसका विकसित ज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ा अंश है। वैज्ञानिक ज्ञान प्रत्यक्ष ज्ञान पर आधारित अवश्य होता है, परन्तु उसका ज्यों-ज्यों विकास होता है, परोक्ष ज्ञान का अंश उसमें बढ़ता जाता है। दूसरे शब्दों में वैज्ञानिक ज्ञान के विकास में अनुमान एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण सहायक क्रिया है। परन्तु यदि यह अनुमान सही रास्ते पर न हो, तो फिर ज्ञान का विकास होने के बजाय ह्रास होगा तथा वह जीवन के लिए घातक सिद्ध होगा। और सही अनुमान के तरीकों को हमारे सामने रखना ही तर्कशास्त्र का मुख्य काम है।
 
== इन्हें भी देखें ==