"शारीरिक शिक्षा": अवतरणों में अंतर

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== शारीरिक शिक्षा का परिचय ==
किसी भी समाज में शारीरिक शिक्षा का महत्व उसका अकटायुद्धोन्मुख प्रवृत्तियों, धार्मिक विचारधाराओं, आर्थिक परिस्थिति तथा आदर्श पर निर्भर होती है। प्राचीन काल में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य मांसपेशियों को विकसित करके शारीरिक शक्ति को बढ़ाने तक ही सीमित था और इस सब का तात्पर्य यह था कि मनुष्य आखेट में, भारवहन में, पेड़ों पर चढ़ने में, लकड़ी काटने में, नदी, तालाब या समुद्र में गोता लगाने में सफल हो सके। किंतु शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन होता गया और शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर के अवयवों के विकास के लिए सुसंगठित कार्यक्रम के रूप में होने लगा। वर्तमान काल में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, खेलकूद, मनोरंजन आदि विषय आते हैं। साथ साथ वैयक्तिक स्वास्थ्य तथा जनस्वाथ्य का भी इसमें स्थान है। कार्यक्रमों को निर्धारित करने के लिए [[शरीररचना-विज्ञान|शरीररचना]] तथा [[शरीर क्रिया विज्ञान|शरीर-क्रिया-विज्ञान]], [[मनोविज्ञान]] तथा [[समाज विज्ञान]] के सिद्धान्तों से अधिकतम लाभ उठाया जाता है। वैयक्तिक रूप में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शक्ति का विकास और नाड़ी स्नायु संबंधी कौशल की वृद्धि करना है तथा सामूहिक रूप में सामूहिकता की भावना को जाग्रतv करना है।
हमारे भारत में एक धारणा है "स्वच्छ शरीर में ही स्वच्छ मस्तिष्क का निवास होता है"
 
किसी भी समाज में शारीरिक शिक्षा का महत्व उसका अकटायुद्धोन्मुख प्रवृत्तियों, धार्मिक विचारधाराओं, आर्थिक परिस्थिति तथा आदर्श
 
पर निर्भर होती है। प्राचीन काल में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य मांसपेशियों को विकसित करके शारीरिक शक्ति को बढ़ाने तक ही सीमित था और इस सब का तात्पर्य यह था कि मनुष्य आखेट में, भारवहन में, पेड़ों पर चढ़ने में, लकड़ी काटने में, नदी, तालाब या समुद्र में गोता लगाने में सफल हो सके। किंतु शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन होता गया और शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर के अवयवों के विकास के लिए सुसंगठित कार्यक्रम के रूप में होने लगा। वर्तमान काल में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, खेलकूद, मनोरंजन आदि विषय आते हैं। साथ साथ वैयक्तिक स्वास्थ्य तथा जनस्वाथ्य का भी इसमें स्थान है। कार्यक्रमों को निर्धारित करने के लिए [[शरीररचना-विज्ञान
शरीररचना]] तथा [[शरीर क्रिया विज्ञान|शरीर-क्रिया-विज्ञान]], [[मनोविज्ञान]] तथा [[समाज विज्ञान]] के सिद्धान्तों से अधिकतम लाभ उठाया जाता है। वैयक्तिक रूप में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शक्ति का विकास और नाड़ी स्नायु संबंधी कौशल की वृद्धि करना है तथा सामूहिक रूप में सामूहिकता की भावना को जाग्रतv करना है।
 
== इतिहास ==
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भारतीय व्यायामपद्धति में सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस पद्धति के द्वारा ध्यान को एकाग्र करना, चित्तवृत्ति का निरोध करना तथा स्मरण शक्ति आदि की वृद्धि करना सुगमतया संभव है। इसी विशेषता से आकर्षित होकर अन्य देशों में इन व्यायामों का बड़ी तीव्र गति से प्रचार और प्रसार हो रहा है। यही नहीं, कहीं कहीं पर तो इन व्यायामों के विभिन्न अनुसंधान केंद्र स्थापित कर दिए गए हैं।
 
[[मनोविज्ञान]] के युग का प्रारंभप्रारम्भ होते ही शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम तथा संगठन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश हुआ। फलत: बच्चों की अभिरुचि, प्रवृत्ति, उम्र तथा क्षमता को ध्यान में रखकर शारीरिक शिक्षा के पाठों का निर्माण हुआ।
 
शैशव काल में ड्रिल को हटाकर छोटे छोटे यांत्रिक खेल तथा कसरतों पर अधिक बल दिया गया। इसके बाद जिमनास्टिक्ल की ओर युवकों को आकर्षित किया गया। सारी कसरतें संगीत की लय पर युवकों में अधिक सुखद और रुचिकर बनानने के प्रयास हुए। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बहुत विस्तृत बना दिया गया। आज यह विषय अंतरराष्ट्रीय आदान प्रदान का एक सुलभ साधन हो गया है। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बहुत विस्तृत बना दिया गया। आज यह विषय अंतरराष्ट्रीय आदान प्रदान का एक सुलभ साधन हो गया है। शारीरिक शिक्षा सामाजिक सुधार के लिए अत्यंत उपयोगी समझी जाती है। इसके द्वारा पारस्परिक सहयोग तथा ऊँच नीच का भेदनिवारण संभव माना जाता है। संवेगनियंत्रण के सक्रिय पाठ पढ़ने का अवसर भी प्राप्त होता है। इसी कारणवश बच्चों की शिक्षा को शारीरिक शिक्षा के आधार पर ही निर्धारित करना उचित समझा जाता है। शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में युवतियों का प्रमुख स्थान होता जाता है।
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विभिन्न स्तरों पर शारीरिक शिक्षा के संवर्धन के लिए संघ तथा संस्थाएँ स्थापित की गई हैं। ये संस्थाएँ समय समय पर प्रादेशिक, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ भी आयोजित करती हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रतियोगियों को विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाता है। यही कारण है कि विश्व की प्रतियोगिताओं में दिनोंदिन प्रगति होती जाती है।
 
==इन्हें भी देखें==
आज खेलकूद (स्पोर्ट्स) भी शारीरिक शिक्षा का एक अंग हो चला है। इसके अंदर सभी खेल सम्मिलित हो जाते हें जिनके द्वारा स्फूर्ति तथा मनोरंजन प्राप्त होता है। शारीरिक शिक्षा आज सामान्य शिक्षा का प्रमुख अंग समझी जाने लगी है।
*[[खेल]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.edudel.nic.in/welcome_folder/support_material_2017_2018/11/11_sm_2017_phyedn_hindi.pdf शारीरिक शिक्षा]
 
[[श्रेणी:शिक्षा]]