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'''शिखरजी''' या '''श्री शिखरजी''' या '''पारसनाथ पर्वत''' [[भारत]] के [[झारखण्ड|झारखंड]] राज्य के [[गिरीडीहगिरिडीह जिला|गिरीडीहगिरिडीह ज़िले]] में [[छोटा नागपुर पठार]] पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण [[जैन धर्म|जैन]] तीर्थ स्थल भी है। 'श्री सम्मेद शिखरजी' के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान [[पार्श्वनाथ]] ने भी [[निर्वाण]] प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन ने पर मोक्ष प्राप्त किया था।<ref name="hindustantimes1">[http://travel.hindustantimes.com/travelogues/on-a-spiritual-odyssey-1.php On a spiritual odyssey - Hindustan Times Travel] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120824015528/http://travel.hindustantimes.com/travelogues/on-a-spiritual-odyssey-1.php |date=24 अगस्त 2012 }}, Travel.hindustantimes.com, Accessed 2012-07-07</ref> 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है।
 
==स्थिति==
शिखरजी जैन धर्म के अनुयायिओं के लिए एक महतवपूर्ण तीर्थ स्थल है। पारसनाथ पर्वत विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों जैन धर्मावलंबियों आते है, साथ-साथ अन्य पर्यटक भी पारसनाथ पर्वत की वंदना करना जरूरी समझते हैं। गिरीडीहगिरिडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन तक क्रमशः 14 और 18 मील है। पहाड़ की चढ़ाई उतराई तथा यात्रा करीब 18 मील की है।
सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह 'सिद्धक्षेत्र' कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। इसे 'पारसनाथ पर्वत' के नाम से भी जाना जाता है।<!-- पारसनाथ सम्वेद शिखर (बिहार)मे ज्ञान की प्राप्ति हुई इनकी शिक्षा में चार व्रतों का उल्लेख किया गया है ये व्रत हैं -
सत्य - सदा सत्य बोलना चाहिए
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[[श्रेणी:जैन तीर्थ]]
[[श्रेणी:झारखंड]]
[[श्रेणी:गिरीडीहगिरिडीह ज़िला]]
{{जैन धर्म}}