"सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
|||
पंक्ति 11:
सिविल प्रक्रिया संहिता में वादों का प्रारम्भ वाद पत्र से किया जाता है। कोई वाद, वाद के पक्षकार से प्रारम्भ होता है। किसी भी वाद में दो से अधिक पक्षकार हो सकते हैं। वाद संस्थित करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि वाद में वादी प्रतिवादी के रूप में उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित कर दिया जाए जो न्याय के लिए आवश्यक है। दूसरी तरफ, किसी भी व्यक्तिय को वाद में अनावश्यक रूप से सम्मिलित कर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
वाद पत्र में सबसे पहले वादियों का उल्लेख किया जाता है। वाद में मुख्यतः दो पक्षकार होते हैं वादी एवं प्रतिवादी। वादी वह होता है जो वादपत्र प्रस्तुत कर न्यायालय से [[अनुतोष]] (relief ) की मांग करता है। प्रतिवादी वह है जो वादपत्र का अपने लिखित कथन द्वारा उत्तर देकर प्रतिरक्षा प्रस्तुत करता है।
===वाद की रचना (आदेश 2)===
|