"काँगड़ा": अवतरणों में अंतर
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▲ | नगर का नाम = काँगड़ा
|image_caption = काँगड़ा हवाई अड्डे से हिमालय का दृश्य
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'''काँगड़ा''' (Kangra) [[भारत]] के [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य के [[काँगड़ा ज़िले]] में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=Jl0qdJYU3LgC Himachal Pradesh, Development Report], State Development Report Series, Planning Commission of India, Academic Foundation, 2005, ISBN 9788171884452</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=3pYqDwAAQBAJ Himachal Pradesh District Factbook]," RK Thukral, Datanet India Pvt Ltd, 2017, ISBN 9789380590448</ref>
== विवरण ==
प्राचीन काल में त्रिगर्त नाम से विख्यात काँगड़ा [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]] की सबसे खूबसूरत घाटियों में एक है। धौलाधर पर्वत श्रृंखला से आच्छादित यह घाटी इतिहास और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। एक जमाने में यह शहर चंद्र वंश की राजधानी थी। काँगड़ा का उल्लेख 3500 साल पहले वैदिक युग में मिलता है। पुराण, महाभारत तथा राजतरंगिणी में इस स्थान का जिक्र किया गया है।
== मुख्य आकर्षण ==
=== बृजेश्वरी देवी मंदिर
यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय मंदिर है। कहा जाता है पहले यह मंदिर बहुत समृद्ध था।, इस मंदिर को बहुत बार विदेशी लुटेरों द्वारा लूटा गया। महमूद गजनवी ने 1009 ई॰ में इस शहर को लूटा और मंदिर को नष्ट कर दिया था। यह मंदिर 1905 ई॰ में विनाशकारी भूकम्प से पूरी तरह नष्ट हो गया था। सन् 1920 में इसे दोबारा बनवाया गया। अजय बन्याल ने इसके लिए काफी अहम कार्य किया है जो कि आज भी किताबों में ढूंढने पर नहीं मिल पाता है अधिक जानकारी के लिए अखिल भारतीय पंडित कर्मचारी संगठन के राष्ट्रीय संगठन अध्यक्ष तारा चंद शर्मा से रिपन अस्पताल में सम्पर्क कर सकते हैं।
=== काँगड़ा किला
काँगड़ा के शासकों की निशानी यह किला भूमाचंद ने बनवाया था। वाणगंगा नदी के किनारे बना यह किला 350 फीट ऊँचा है। इस किले पर अनेक हमले हुए हैं। सबसे पहले कश्मीर के राजा श्रेष्ठ ने 470 ई॰ में इस पर हमला किया। सन् 1886 में यह किला अंग्रेजों के अधीन हो गया, किले के सामने लक्ष्मीनारायण और आदिनाथ के मंदिर बने हुए हैं। किले के भीतर दो तालाब हैं, एक तालाब को कपूर सागर के नाम से जाना जाता है।
=== महाराणा प्रताप सागर झील
यह झील व्यास नदी से बनी है। सन् 1960 ई॰ में व्यास नदी पर एक बांध बनवाया गया और इसे महाराणा प्रताप सागर झील कहा गया। इस झील का पानी 180 से 400 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला है। सन् 1983 ई॰ में इस झील को वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया गया। यहाँ लगभग 220 पक्षियों की प्रजातियाँ प्रवास करती हैं। इस बांध को पोंग बांध भी कहा जाता है।
=== काँगड़ा आर्ट गैलरी
यह आर्ट गैलरी काँगड़ा घाटी की कला, शिल्प और समृद्ध अतीत का भंडार है। यहाँ काँगड़ा की लोकप्रिय लघु पेंटिग्स, मूर्तियों का संग्रह और मिट्टी के बर्तन देखे जा सकते हैं।
=== मशरूर मंदिर
काँगड़ा के दक्षिण से 15 कि॰मी॰ दूर स्थित मशरूर नगर समुद्र तल से 800 मीटर की ऊँचाई पर है, इस नगर में 15 शिखर मंदिर है। चट्टानों को काटकर बनाये गये इन मंदिरों का सम्बन्ध दसवीं शताब्दी से है। यह मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ हैं। इन मंदिरों की तुलना अजंता और एलौरा के मंदिरों से की जाती है। Y minder bhatu acha h yha pr ek bda sa paane ka tlab we h
=== करेरी झील
यह झील घने जंगलों से घिरी है। इसकी पृष्ठभूमि में धौलाधर पर्वत श्रृंखलाएँ इसे एक बेहद खूबसूरत स्थान बनाते हैं। करायरी झील इस क्षेत्र में ट्रैकिंग का प्रकाश स्तम्भ है।
=== सुजानपुर किला
काँगड़ा राज्य की सीमाओं के नजदीक ही सुजानपुर किला है। इस किले को काँगड़ा के राजा अभयचंद ने 1758 ई॰ में बनवाया था।
=== चिन्मय तपोवन
काँगड़ा से 10 कि॰मी॰ दूर चिन्मय तपोवन
== आवागमन ==
;वायु मार्ग
काँगड़ा से 7 कि॰मी॰ की दूरी पर हवाईअड्डा है जो सीधी दिल्ली से जुड़ा हुआ है।
;रेल मार्ग
पठानकोट काँगड़ा का निकटतम ब्रोड गेज रेल मुख्यालय है। पठानकोट काँगड़ा से लगभग 90 कि॰मी॰ की दूरी पर है।
;सड़क मार्ग
काँगड़ा बेहतर सड़क मार्ग से धर्मशाला से जुड़ा है जो 18 कि॰मी॰ दूर स्थित है। धर्मशाला हिमाचल और निकटवर्ती शहरों से जुड़ा हुआ है।
== इन्हें भी देखें ==
* [[काँगड़ा ज़िला]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
* {{wikivoyage|Kangra}}
== सन्दर्भ ==
[[श्रेणी:हिमाचल प्रदेश के शहर|काँगड़ा]]▼
{{टिप्पणीसूची}}
▲[[श्रेणी:हिमाचल प्रदेश|काँगड़ा]]
[[श्रेणी:काँगड़ा ज़िला]]
[[श्रेणी:काँगड़ा ज़िले के नगर]]
[[श्रेणी:भारत के तीर्थ]]
[[श्रेणी:काँगड़ा|*]]
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