"मुद्रा (विनिमय माध्यम)": अवतरणों में अंतर
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* टिकाऊपन (durability): वस्तु लम्बे समय तक बिना विकृत या नष्ट हुए रहनी चाहिए। यानि ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई विक्रेता मुद्रा वस्तु को प्राप्त करे और उसे स्वयं प्रयोग कर पाने से पहले ही अपनी पहचान खो दे।
आधुनिक युग में सरकार कागज़ के टुकड़ों (नोट) को मुद्रा के रूप में प्रयोग करती है, लेकिन कागज़ की गुणवत्ता और उसपर विशेष छपाई से यह सारे लक्षण उस में निहित होते है। जब कोई सरकार देश की आर्थिक क्षमता की तुलना से अधिक नोट छाप दे, तो मुद्रा तेज़ी से अपना मूल्य खोने लगती है (यानी महंगाई हद से अधिक बढ़ जाती है) और सम्भव है कि जनता उसका मुद्रा के रूप में प्रयोग ही छोड़ दे। उदाहरण के लिए [[ज़िम्बाबवे]] की सरकार ने इतने नोट छाप दिए कि जनता ने काफी हद तक ज़िम्बाबवे की मुद्रा को मूल्यहीन मानना आरम्भ कर दिया और [[अमेरिकी डॉलर]] अपनाना शुरु कर दिया।<ref>"[https://www.google.com/books/edition/When_Money_Dies/YxUBAwAAQBAJ When Money Dies: The Nightmare of Deficit Spending, Devaluation, and Hyperinflation in Weimar Germany]," Adam Fergusson, Public Affairs, 2010, ISBN 9781586489946</ref> इसके विपरीत जब [[इराक]] में [[सद्दाम हुसैन]] की सरकार
== इन्हें भी देखें ==
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