"कटनी": अवतरणों में अंतर

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'''कटनी''' (Katni) या '''मुड़वारा''' (Murwara) [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[कटनी ज़िले]] में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=X6XNCwAAQBAJ Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190703183559/https://books.google.com/books?id=X6XNCwAAQBAJ |date=3 जुलाई 2019 }}," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=u6VB9_CrsfoC Tourism in the Economy of Madhya Pradesh]," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293</ref>
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एवं देश की प्रथम किन्नर महापौर यही से बनी थी।}}
'चूना पत्थर का शहर' के नाम से लोकप्रिय उत्तरी [[मध्य प्रदेश]] का '''कटनी''' 4950 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह [[कटनी ज़िला|कटनी जिला]] का मुख्यालय है। विजयराघवगढ़, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, मुड़वारा और करोन्दी यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। मुडवारा, कटनी, छोटी महानदी और उमदर यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। कटनी का स्लीमनाबाद गांव संगमरमर के पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है।
 
== विवरण ==
कटनी नगर का नामकरण [[कटनी नदी]] के नाम पर हुआ है। इस नदी पर नगर पश्चिम में 2किमी दूर कटाए घाट है। वास्तव में यह 'कटाव घाट' है, उस कटाव पहाड़ी का जो [[बहोरीबंद]] में है। घाट का आशय चढ़ाव है। डॉ॰ [[शिवप्रसाद सिंह]] के उपन्यास 'नीला चाँद' में इस कटाव घाट के रास्ते से होकर युद्ध के लिए जाने की सलाह [[काशी का इतिहास#आधुनिक काशी राज्य|काशी नरेश]] को दी जाती है। 'मध्यप्रदेश की बारडोली ' कटनी - यह गौरवशाली उपाधि इसलिए मिली कि नगर एवं पचासों गाँव गँवइयों के लोगोँ ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बापू का साथ दिया था। प्रदेश में सबसे बढ़कर संख्या बल जेल जाने वालोँ का यहाँ के लोगों का था। माता [[कस्तूरबा गांधी|कस्तूरबा]] से मुलाकात करने यहाँ के रेल्वे प्लेटफार्म पर उनके बड़े पुत्र यहाँ आए थे। साहित्य में उल्लेखनीय है [[विजयराघवगढ़]] रियासत के [[जगमोहन सिंह|ठाकुर जगमोहन सिंह]] के काव्य-उपन्यास 'श्यामा स्वप्न' की भारतेंदुकालीन परंपरा। आगे गाँधीवादी कवि [[राममनोहर बृजपुरिया]] सम्राट के बाद कथा कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखक कटनी में हुए। कहानी उपन्यास एवँ व्यंग्य लेखन में सर्वाधिक उल्लेखनीय हैँ - सुबोधकुमार श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार पाठक। कविता की गीत नवगीत लेखन परंपरा को समृद्ध करने वाले सुरेंद्र पाठक, राम सेंगर, राजा अवस्थी आदि के अलावा ओम रायजादा, अनिल खंपरिया ग़ज़ल गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैँ। मंचके कवियोँ की परंपरा भी यहाँ खूब समृद्ध है। 'किरण' यहाँ पर कला संगीत का सक्रिय मंच है। बघेली, बुँदेली और गोंडी बोलियों की त्रिधारा कटनी को बोलियों का प्रयाग बनाती है। किन्नर प्रत्याशी कमला जान ने नगर महापौर बनकर पूरे देश में कटनी की धूम मचा दी थी। करमा, राई, फाग, भगत आदि लोकनृत्य लोकगीत यहाँ नाचे गाए जाते हैँ
'चूना पत्थर का शहर' के नाम से लोकप्रिय उत्तरी [[मध्य प्रदेश]] का '''"कटनी'''" 4950 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह [[कटनी ज़िला|कटनी जिला]] का मुख्यालय है। विजयराघवगढ़, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, मुड़वारा और करोन्दी यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। मुडवारा, कटनी, छोटी महानदी और उमदर यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। कटनी का स्लीमनाबाद गांव संगमरमर के पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है।
 
कटनी नगर का नामकरण [[कटनी नदी]] के नाम पर हुआ है। इस नदी पर नगर पश्चिम में 2किमी दूर कटाए घाट है। वास्तव में यह 'कटाव घाट' है, उस कटाव पहाड़ी का जो [[बहोरीबंद]] में है। घाट का आशय चढ़ाव है। डॉ॰ [[शिवप्रसाद सिंह]] के उपन्यास 'नीला चाँद' में इस कटाव घाट के रास्ते से होकर युद्ध के लिए जाने की सलाह [[काशी का इतिहास#आधुनिक काशी राज्य|काशी नरेश]] को दी जाती है। 'मध्यप्रदेश की बारडोली ' कटनी - यह गौरवशाली उपाधि इसलिए मिली कि नगर एवं पचासों गाँव गँवइयों के लोगोँ ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बापू का साथ दिया था। प्रदेश में सबसे बढ़कर संख्या बल जेल जाने वालोँ का यहाँ के लोगों का था। माता [[कस्तूरबा गांधी|कस्तूरबा]] से मुलाकात करने यहाँ के रेल्वे प्लेटफार्म पर उनके बड़े पुत्र यहाँ आए थे। साहित्य में उल्लेखनीय है [[विजयराघवगढ़]] रियासत के [[जगमोहन सिंह|ठाकुर जगमोहन सिंह]] के काव्य-उपन्यास 'श्यामा स्वप्न' की भारतेंदुकालीन परंपरा। आगे गाँधीवादी कवि [[राममनोहर बृजपुरिया]] सम्राट के बाद कथा कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखक कटनी में हुए। कहानी उपन्यास एवँ व्यंग्य लेखन में सर्वाधिक उल्लेखनीय हैँ - सुबोधकुमार श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार पाठक। कविता की गीत नवगीत लेखन परंपरा को समृद्ध करने वाले सुरेंद्र पाठक, राम सेंगर, राजा अवस्थी आदि के अलावा ओम रायजादा, अनिल खंपरिया ग़ज़ल गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैँ। मंचके कवियोँ की परंपरा भी यहाँ खूब समृद्ध है। 'किरण' यहाँ पर कला संगीत का सक्रिय मंच है। बघेली, बुँदेली और गोंडी बोलियों की त्रिधारा कटनी को बोलियों का प्रयाग बनाती है। किन्नर प्रत्याशी कमला जान ने नगर महापौर बनकर पूरे देश में कटनी की धूम मचा दी थी। करमा, राई, फाग, भगत आदि लोकनृत्य लोकगीत यहाँ नाचे गाए जाते हैँहैं।
 
*यहाँ कमला जान किन्नर महापौर रही हैं, जो भारत की पहली किन्नर महापौर थीं। बल्थारी की पान-काफी प्रसिद्ध है (अबुल फजल की पुस्तक आईने-ए-अकबरी मे उल्लेख है)
 
=== झिंझरी ===
कटनी जिले के जबलपुर रोड पर कटनी से 3 किलोमीटर दूर झिंझरी शैलाश्रय है। यहां चूना पत्थर की 14 विशाल मेंढकाकार चट्टानें देखी जा सकती है। इन प्रागैतिहासिक कालीन चट्टानों में तत्कालीन मानव के औजारों, हथियारोँ, पशु पक्षी, मानवाकृतियाँ, पेड़ और पत्तों आदि के शैलचित्रोँ को देखा जा सकता है। ये शैलचित्र 10000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व के माने जाते हैं। सरकारी संरक्षण के बावज़ूद अब ये समाप्तप्राय हैँ।
 
=== रूपनाथ ===
यह तीर्थस्थल बहोरीबंद से 3 किलोमीटर दूर है। भगवान शिव की पंचलिंग की आकर्षक प्रतिमा यहीं स्थापित है। यह एक-दूसर के ऊपर बने तीन कुंड देखे जा सकते हैं। सबसे निचले कुंड को सीताकुंड, बीच के कुंड को लक्ष्मण कुंड और सबसे ऊपर वाले कुंड को राम कुंड के नाम से जाना जाता है।
 
=== विजयराघवगढ़ ===
यह ऐतिहासिक स्थल कटनी से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। यह शहर बहुत ही खूबसूरत है।राजा प्रयागदास के काल में यह एक विशाल और लोकप्रिय नगर था। विजयराघवगढ़ किला यहां का मुख्य आकर्षण है। भगवान विजयराघव को समर्पित एक मंदिर भी यहां देखा जा सकता है। मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर विजयराघवगढ़-बरही सड़क मार्ग पर पूर्व में कटनी की जीवनरेखा ' छोटी महानदी ' बहती है। जिसके किनारे पर एक छोटा सा पार्क है। यहाँ देवी शारदा का मंदिर है। जिसका महत्व मैहर की देवी शारदा के समान माना जाता है। रियासत के किशोर राजा सरयू प्रताप सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया था। प्रमुख सहायक सरदार बहादुर ख़ान को लेकर मुड़वारा कटनी में अंग्रेजोँ से मुक़ाबला किया। किशोर राजा को सुरक्षित कर बहादुरखान ने अपने प्राणोँ का बलिदान कर वफ़ादारी की मिसाल कायम की . आज भी कटनी में महिला महाविद्यालय के बाजू में शहीद की मज़ार है। यह युद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अवधि में हुआ। मूड़ वारे यानी सिर काटे थे अंग्रेजोँ ने यहाँ भारतीयोँ के इसलिए कटनी का पश्चिमी दक्षिणी भाग ' मुड़वारा' के नाम से राजस्व अभिलेखोँ में लिखा जाने लगा था। ठाकुर जगमोहनसिंह इसी राजपरिवार के कवि थे। इनका लिखा काव्य उपन्यास ' श्यामा स्वप्न ' भारतेंदुकालीन महत्वपूर्ण काव्यकृति है।
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=== बिलहेरी ===
{{मुख्य लेख - [[|पुष्पावति बिल्हेरी]]}}
बिलहेरी कटनी से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में पशुपति नगरी के नाम से विख्यात इस नगर में अनेक प्राचीन मूर्तियां देखी जा सकती हैं। यहां से प्राप्त अनेक ऐतिहासिक और प्राचीन वस्तुओं को नागपुर संग्रहालय में रखा गया है।यह संत तारण की जन्म भूमि है।यहाँ आकृषित मंदिर है।
मुख्य लेख - [[पुष्पावति बिल्हेरी]]
 
=== बहोरीबंद ===
{{मुख्य|बोहरीबंद}}
[[बहोरीबंद]] गांव के आसपास अनेक ऐतिहासिक स्मारकों को देखा जा सकता है। जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की 12 फीट ऊंची प्रतिमा, भगवान विष्णु और सूर्य की प्रतिमाएं यहां का मुख्य आकर्षण हैं। यहां एक कुंड के निकट स्थित एक पत्थर में भगवान विष्णु के दस अवतारों को प्रदर्शित किया गया है। यहां स्टोन पार्क की स्थापना के बाद इस गांव का महत्व और बढ़ गया है।
 
=== तिगवा ===
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यहां से थोड़ा आगे जाएंगे अब तो आपको बरही और डिहुँटा के बीच भगवान शंकर अपने आप प्रकट होते हुए मिलेंगे यह धाम जलहरी धाम कहा जाता है यहां अपने आप भगवान शंकर प्रगट होते हैं
 
== चरगवान ==
 
यहांकटनी से 28 किलोमीटर दूर और चरगवान बस्ती से 2 किलोमीटर दूर एक ऐतहासिक मंदिर स्थित है, जो कि काली माता का मंदिर है। यहां एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 30 फुट (जो कि एक नीम के पेड़ के बराबर है) है। और इस पत्थर के नीचे ही काली माता विराजमान है। और chargwanचरगवान में 2 किलोमीटर दूर शंकर जी का मंदिर स्थित है। जहां पर एक विशालकाय बरगद का पेड़ है। जिसकी शाखाएं 150 मीटर तक फैली हुई है।
== CHARGWAN == कटनी जिले से 28 किलोमीटर दूर है
यहां चरगवान से 2 किलोमीटर दूर एक ऐतहासिक मंदिर स्थित है, जो कि काली माता का मंदिर है। यहां एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 30 फुट (जो कि एक नीम के पेड़ के बराबर है) है। और इस पत्थर के नीचे ही काली माता विराजमान है। और chargwan में 2 किलोमीटर दूर शंकर जी का मंदिर स्थित है। जहां पर एक विशालकाय बरगद का पेड़ है। जिसकी शाखाएं 150 मीटर तक फैली हुई है।
 
== आवागमन ==
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;सड़क मार्ग
[[राष्ट्रीय राजमार्ग 730 (भारत)|राष्ट्रीय राजमार्ग 30]] और [[राष्ट्रीय राजमार्ग 43 (भारत)|राष्ट्रीय राजमार्ग 43]] कटनी को राज्य और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से जोड़ताजोड़ते है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अनेक शहरों से यहां के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसों की व्यवस्था है।
 
== इन्हें भी देखें ==
==बाहरी कड़ियाँ==
district =* [[कटनी ज़िला|कटनी]] |
आदर्श कुमार पाण्डेय -सीधी
 
* {{विकियात्रा}}
 
* कमला जान किन्नर महापौर रही हैं (भारत की पहली किन्नर महापौर)
* बल्थारी की पान-काफी प्रसिद्ध है (अबुल फजल की पुस्तक आईने-ए-अकबरी मे उल्लेख है)
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20190810100058/https://katni.nic.in/ कटनी सरकारी जालस्थल]
* [https://web.archive.org/web/20161007052822/http://katnilive.com/ katnilive.com]
* [https://web.archive.org/web/20130629073023/http://katniinfo.com/ Joviol Software Solution]
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{reflist}}
 
* [https://web.archive.org/web/20090129133603/http://www.fallingrain.com/world/IN/21/Katni.html FallingRain Map - elevation = 70m]
 
[[श्रेणी:{{मध्य प्रदेश के शहर]]जिले}}
 
[[श्रेणी:कटनी ज़िला| ]]
[[श्रेणी:मध्य प्रदेश के गाँव]]
[[श्रेणी:कटनी ज़िले के गाँव]]
[[श्रेणी:कटनी|*]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कटनी" से प्राप्त