"लेखन का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Interpretation of Queen Maya's dream.jpg|right|thumb|300px|रानी महामाया के स्वप्न का अर्थ या तात्पर्य निकालते हुए पण्डित]]
 
'''लेखन का इतिहास''' हमें दिखाता है कि [[भाषा]] किस तरह से अक्षरों या अन्य चिह्नों <ref><div> पीटर टी। डेनियल, "द स्टडी ऑफ राइटिंग सिस्टम", ''द वर्ल्ड राइटिंग सिस्टम में'' , एड। उज्ज्वल और डेनियल, पी। 3 </div></ref> द्वारा लिखी गयी और [[लिपि]]यों के विकास को समझने की कोशिश करता है।
 
विभिन्न मानव सभ्यताओं में [[लिपि|लेखन प्रणालीयों]] का विकास हुआ है, परन्तु इन प्रणालीयों के पहले आध्यलिपियों का उपयोग हुआ, जिनमें वैचारिक या स्मृति-सहायक चिन्हों काम आते थे। ''सच्चे लेखन'', जिसमें [[अभिव्यक्ति|भाषिक उच्चारण]] को इस तरह कूट बना सकते ताकी पढ़ने वाला लिखित शब्द से काफी हद तक भाषिक उच्चारण बना सके, बादमें बना। सच्चे लेखन आध्यलिपि से अलग है। आध्यलिपि अधिकतर व्याकरणिक शब्दों और प्रत्ययों को कूटित नहीं करती है, जिस वजय से लेखक के मतलब को समझना [[कठिनी|कठिन]] या असंभव हो जाता है। [[अंकन (लिपि)|क्यूनिफॉर्म लिपि]] दुनिया की सबसे पहली लिपियों में से एक है। <ref><div> ''द प्लेयर्स ऑफ़ द प्लेन: हेनरी रॉलिन्सन एंड द लॉस्ट लैंग्वेजेस ऑफ़ बेबीलोन'' , न्यूयॉर्क, सेंट मार्टिन प्रेस (2003) </div></ref>
 
== लेखन का आविष्कार ==