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'''प्रेम नाथ डोगरा''' (२४ अक्टूबर १८८४ - २० मार्च १९७२) भारत के एक राजनेता थे। उन्होने [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू तथा कश्मीर]] के [[भारत]] में पूर्ण एकीकरण के लिए बहुत कार्य किया। वे [[भारतीय जनसंघ]] के अध्यक्ष भी रहे। वे [[प्रजा परिषद]]् के पहले अध्यक्ष थे। उन्हे 'शेर-ए-डुग्गर' कहा जाता है। डोगरा की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम था कि 'एक विधान, एक निशान और एक प्रधान' की मांग पर आंदोलन का आगाज हुआ। परिणामतः देश, केंद्र और राज्य के बीच मजबूत रिश्ते कायम हुए।
 
प्रेमनाथ जी राजा, [[हरिसिंहमहाराजा हरि सिंह]] के समय डी.सी. (विकास आयुक्त) थे। बाद में वे [[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]] के जम्मू के संघचालक बने और फिर [[प्रजा परिषद्]] के आन्दोलन से जुड़े। जम्मू के सभी आन्दोलन उनके मार्गदर्शन में हुए। 1972 तक वे [[जम्मू]] की राजनीति में प्रभावी रहे।
 
==जीवन परिचय==
पंडित प्रेमनाथ डोगरा का जन्म 23 अक्तूबर, 1894 को समैलपुर गांव में हुआ। समैलपुर गांव [[जम्मू]] नगर से 22 किमी. दूर [[जम्मू-पठानकोट मार्ग]] से उत्तर में एक प्रसिद्ध गांव है।
उनके पिताजी का नाम पं॰ अनन्त राय था। जम्मू-कश्मीर के महाराजा [[रणवीर सिंह]] के समय पं. अनंत राय रणवीर गवर्नमेंट प्रेस के अधीक्षक रहे और उसके पश्चात [[लाहौर]] में कश्मीर प्रापर्टी के अधीक्षक रहे थे। पंडित जी तब [[राजा ध्यान सिंह]] की [[लाहौर]] की [[हवेली]] में रहते थे। वहीं पं. प्रेमनाथ का बचपन बीता और शिक्षा दीक्षा भी सम्पन्न हुई।<ref>{{Cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2008/11/23/File15.htm |title=पंडित प्रेमनाथ डोगरा का पुण्य स्मरण |access-date=26 फ़रवरी 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20121025191729/http://panchjanya.com/arch/2008/11/23/File15.htm |archive-date=25 अक्तूबर 2012 |url-status=dead }}</ref>
 
पंडित प्रेमनाथ जी बचपन से ही पढ़ाई में अत्यंत योग्य और खेलों में अत्यंत चुस्त एवं निपुण थे। 1904 में उन्होंने मॉडल स्कूल, लाहौर से मैट्रिक की परीक्षा पास की और एफ.सी.कालेज में प्रवेश लिया। वहां उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में विशेष रुचि दिखाई और 100 गज, 400 गज, आधा मील, एक मील की दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। पंजाब के तत्कालीन गवर्नर, जो उस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे, से इनाम भी प्राप्त किया। पंडित जी को एक जेब घड़ी इनाम में मिली थी उन्होंने उस घड़ी को बहुत दिनों तक संभाल कर रखा, आज भी वह उनके परिवार के पास सुरक्षित है। कालेज जीवन में पंडित जी फुटबाल के भी ऊंचे दर्जे के खिलाड़ी थे। कालेज की फुटबाल टीम में शामिल थे। जम्मू राज्य के तत्कालीन गवर्नर चेतराम चोपड़ा ने एक बार कहा था- "मैं समझता हूं कि पंडित जी की स्फूर्ति और तेज गति का कारण यही फुटबाल का खेल था, जिसका प्रभाव उनके जीवन में अंतिम दिन तक रहा था।
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*[https://web.archive.org/web/20140522005411/http://www.jammukashmirnow.com/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6-%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A1%E0%A4%BE/ प्रजा परिषद आन्दोलन और डॉ॰ मुखर्जी का बलिदान]
*[https://web.archive.org/web/20171022041547/http://panchjanya.com//Encyc/2017/2/20/%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%87---%E0%A4%AA%E0%A4%82.-%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%82-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%8A%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%89%E0%A4%A0%E0%A5%87%E0%A4%82.aspx पं. नेहरू निम्न कोटि की दलबंदी से ऊपर उठें] (१९६० के चीनी घुसपिठ पर प्रेमनाथ डोगरा का वक्तव्य)
 
{{भारत-राजनीतिज्ञ-आधार}}
 
[[श्रेणी:जम्मू और कश्मीर के राजनीतिज्ञ]]