"विष": अवतरणों में अंतर

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वमन कराने के लिए गले में अँगुली या अन्य वस्तु का प्रयोग करना चाहिए, या निम्नलिखित वस्तुओं में से कोई चीज खिलानी चाहिए : ऐयोमॉरफ़ीन हाइड्रोक्लोराइड, चूर्णित सरसों, (powdered mustard) और नमक या प्रबल साबुन जल (strong soap suds)।
 
===जठरीय तरलापनयन और वस्तिक्रिया===
इन क्रियाओं के उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
 
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(4) विषप्रतिकारकों के सुविधाजनक प्रयोग के लिए।
 
====निषेधक लक्षण====
निम्नलिखित स्थितियों में जठरीय तरलापनयन और वस्ति क्रिया नहीं की जाती हैं :
 
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(2) तीव्र नि:संज्ञ, जडिमाग्रस्त (stuporous), या निश्चेतनताग्रस्त (comatose), रोगी, क्योंकि उसे तरलापनयन फुफ्फुसार्ति (pnuemonia) का खतरा रहता है।
 
====विधि====
नाक या मुँह द्वारा [[आमाशय]] में एक चिकनी, मृदु, न दबनेवाली अमाशय नली को धीमे-धीमे प्रवेश कराना चाहिए। वस्तिक्रिया प्रचुर हो, परंतु अमाशय का आध्मान (distention) न किया जाए। कुछ स्थितियों में थोड़े थोड़े अंतर पर अल्प तरल के साथ वस्तिक्रिया करना अच्छा होता है। वस्तिक्रिया के विलयन के आधिक्य को निकालना अनिवार्य है।
 
====जठरीय वस्तिक्रिया के तरल ====
 
1. गुनगुना पानी या 1 प्रतिशत नमकीन पानी,
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