"चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति": अवतरणों में अंतर

उत्तर भारत की लौहयुगीन संस्कृति
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11:25, 7 मई 2021 का अवतरण

चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति (अंंग्रेजी-Painted Gray Ware Culture) उत्तर भारत की लौह युग से संबंधित संस्कृति है। इस संस्कृति से संबंधित सभी स्थलों पर लोहे के प्रयोग के साक्ष्य मिले हैं ।उत्तर भारत के लौह युुग का इस संस्कृति से निकट का संबंध है। [1] यह मिट्टी केे बर्तनों की एक परंपरा है जिसमें स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से डिजाइन किया जाता था।

भौगोलिक विस्तार

इस संस्कृति को पहली बार 1940 में खुदाई केेे दौरान अहिच्छत्र (बरेली जिले) में खोजा गया था। भारत में अब तक इस संस्कृति से संबंधित लगभग 1161 पुरातात्विक स्थल खोजे जा चुके हैं। मुख्य रूप सेेेे यह उत्तर प्रदेश,उत्तरी राजस्थान और पूर्व-उत्तरी भारत तक विस्तरित है। उत्तर प्रदेश में अहिच्छत्र,हस्तिनापुर ,कौशांबी,श्रावस्ती,श्रृंगवेरपुर,मथुरा तथा बिहार में वैशाली, जम्मू में मांडा, मध्यप्रदेश में उज्जैन, पंजाब में रोपड़,राजस्थान में नोह और हरियाणाा में भगवानपुरा इस संस्कृति के प्रमुख स्थल हैं। इसका विस्तार क्षेत्र उत्तर में मांडा,दक्षिण में उज्जैन,पूर्व में तिलारकोट(नेपाल)और पश्चिम में लखियोपीर (सिंध,पाकिस्तान) तक है। ऊपरी गंगा घाटी में यह संस्कृति अधिक संकेंद्रित है। मध्य और निचली गंगा घाटी में इस संस्कृति के स्थल सीमित मात्रा में पाए गए हैं जो बाद की अवधि के आरंभिक उत्तरी काली पोलीस वाले मृदभांड के सांस्कृतिक चरण से प्राप्त किए गए हैं। जिससेेे यह स्पष्ट होता है कि पूर्वी भारत में चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति का विस्तार देर से हुआ।

संदर्भ

  1. Dangi, Vivek (2018). "Iron Age Culture of North India". researchgate.net. अभिगमन तिथि May,7,2021. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)