"कुण्डली": अवतरणों में अंतर

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अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार...
जाने जन्मपत्रिका के चमत्कार!!!!
ज्योतिष पर भरोसा करने हेतु 43 कारण हैं -
 
ज्योतिष में सब सम्भव है।
 
【१】जन्मपत्रिका में पंचम भाव से पिछले जन्म के पाप-पुण्य देखे जाते हैं। पुण्य अधिक होने से इस जन्म में बुद्धिमान, प्रज्ञावान होता हैं। पूर्व जन्म में पाप की अधिकता से बुद्धि, याददाश्त क्षीण होती है।
 
【२】पंचम भाव से ही विवेक, किस तरह व्यापार फलप्रद होगा और उसकी स्थिति, पहले बच्चे का जन्म एवं भाग्य आदि देखते हैं।
 
【३】पत्रिका में लग्न से अष्टम भाव भूत-प्रेत, बाधा आदि का विश्लेषण करते हैं।
 
【४】बारहवां भाव से अगले जन्म में जातक इस योनि में जायेगा, मुक्ति, खर्चा आदि का विचार करते हैं।
 
【५】दक्षिन भारत के चिदम्बरम से 25 किलोमीटर दूर वेदेहीश्वरम नामक ग्राम में आज भी ज्योतिष का लाखों वर्ष पुरानी परंपरा नाड़ी सहिंता उपलब्ध है। यहां अंगूठे के निशान से कुंडली बनाई जाती है। यहां सन 1989 में मेरा अचानक जाना हुआ। आज तक करीब 20 बार प्रवास हुआ।
 
【६】स्कंदपुराण के अनुसार आदिकालीन मूल बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग यहीं पर है। यह करीब 8 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है।
 
【७】केन्सर, त्वचा, रक्त रोग एवं मांगलिक लोगों की मङ्गल शान्ति का परिहार किया जाता है।
 
【८】जटायु का दाह संस्कार यहीं हुआ था।
 
【९】वेदेहीश्वरम शिवालय सृष्टि का एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जहां सभी नवग्रह एक सीध, पंक्ति या लाइन में विराजे हैं।
 
【१०】यहां अगस्त्य नाड़ी सहिंता, कौशिक ऋषि नाड़ी सहिंता, सप्तर्षि नाडी सहिंता, नन्दी शिव सहिंताओं का अतुल भंडार 10 लाख वर्षों से भी पुराना है।
 
【११】वीर शिवाजी ने इस ज्योतिष ताड़ पत्र की खोज की थी।
 
【१२】दतिया पीताम्बरा पीठ के स्वामीजी को हस्तरेखा एवं कुंडली का अदभुत ज्ञान था,
 
【१३】दतिया के ही स्वर्गीय श्री नोगरैया हथेली की रेखाएं देखकर सही जन्म तिथि निकल देते थे।
 
【१४】ग्वालियर तारा पीठ के तांत्रिक समाधिस्थ गुरु रमेश उपाधयाय जी, जिन्हें अटलबिहारी वाजपेयी भी बहुत मानते थे, वह भी हाथ की रेखाओं को देखकर कुंडली बनाते थे।
 
【१५】लखनऊ सरोजनी नगर के गुरुदेव स्वर्गीय श्री परमेश्वर द्विवेदी भृगु सहिंता के जानकार थे। द्विवेदी जी सीधे हाथ के अंगूठे का शोध करके कुंडली बना देते थे। इनके द्वारा लिखा गया भविष्यफल के कुछ ही चित्र नीचे दिए गए हैं। यह भविष्यफल लगभग 55 पृष्ठ का है।
 
सौभाग्य से इन सबके दर्शन करने का मुझे मौका मिला।
 
【१६】बिहार में झुमरी तलैया रेलवे स्टेशन से 16 किलोमीटर दूर रावण सहिंता में भी अपना भविष्य दिखवाया।
 
【१७】अनुभव ये रहा कि लगभग सब ज्योतिषाचार्यों की बातें समय-समय पर सटीक निकली।
 
लेकिन अब ज्यादा जानकर ज्योतिषी कम ही है और वे सभी धन लोलुप हो चुके हैं।
 
 
【१८】हम 6 भाई एक बहिन हैं।
 
【१९】मेरी जन्मतिथि 100 प्रतिशत सत्य है। बाद में जब कुंडली मिली, तो लग्न चक्र भृगु सहिंता के अनुसार ही था।
 
 
【२०】नाड़ी सहिंता के फोटो भी शेयर करते लेकिन उसमें मेरे जीवन की बहुत सी गुप्त बातें हैं, जिसे बताना उचित नहीं है।
 
【२१】रावण सहिंता में बताया गया भविष्यफल मिल नहीं रहा है। यह भी हस्त लिखित है। बेहतरीन चमत्कारी लिखा हुआ है। आश्चर्य की बात यह है कि जब जिस सन में या समय पर जो घटना कर्म लिखा था। जीवन में 100 फीसदी वैसा ही हुआ।
 
【२२】रावण सहिंता में लिखा गया था कि जातक 4 से 5 जीर्ण-शीर्ण शिवालय का जीर्णोद्धार कराएगा ओर मुझे यह सब करना पड़ा।
 
【२३】ग्वालियर फालका बाज़ार स्थित शिवकल्यानेश्वर की प्राण प्रतिष्ठा अमृतम परिवार द्वारा हुई है। यहां प्रतिदिन कालसर्प-पितृदोष की शांति हेतु निशुल्क रुद्राभिषेक कराया जाता है।
 
【२४】भक्त गण यह बिना किसी दक्षिण और पूजा सामग्री के मुफ्त में अभिषेक करते हैं। जो लोग भी इस मंदिर से जुड़े हैं, उनके जीवन से सभी समस्यायों तथा कठिनाइयों का अंत हो गया। आज वे सम्पन्नता की तरफ अग्रसर हैं।
 
【२५】अंत में यही कहेंगे कि भारत एक विचित्र देश है। यहां असम्भव कुछ भी नही है।
 
【२६】दक्षिण की सप्तऋषि नाड़ी सहिंता में लिखा आया कि जातक जीवन में 40 हजार स्वयम्भू शिवालय के दर्शन करेगा। आज तक लगभग 25 हजार शिव मंदिरों के दर्शन हो चुके हैं। इसके अनुसार अनेक शिवलिंग की पूजा , दर्शन के बाद ही भाग्योदय होगा। वैसा ही हुआ भी।
 
【२७】भृगु सहिंता में अपना भविष्य 1988 को दिखवाया था, तब मेरी शादी नहीं हुई। जब विवाह में पत्नी का नाम और परिवार पूर्णतः भृगु सहिंता के मुताबिक निकला, तो मेरा विश्वासः पूरी तरह जम गया।
 
【२८】मेरे दोनों बच्चों का जन्म भी भृगु सहिंता के मुताबिक हुआ और राशि, नाम कुंडली भी बिल्कुल वही है। जैसा लिखा है।
 
【२९】कुछ फोटो साझा कर रहे हैं- इसमें पत्नी नाम वही आया है, जो है।
 
 
【३०】मुझ पर बचपन से ही महादेव की कृपा होने से तन्त्र-मन्त्र ज्योतिष में रुझान रहा है। देखो भृगु सहिंता में भी यही लिखा है।
 
【३१】जीवन में कुछ लड़कियों, महिलाओं से भी प्रेम सम्बन्ध रहे। इतना भी सही निकला। लेकिन love मैरिज किसी से नहीं हुई।
 
मेरा स्वभाव बचपन से ही बहुत मजाकिया रहा। व्यंग लिखने का शोक होने की वजह से महिलाएं शीघ्र ही आकर्षित हो जाती थी।
 
हालांकि हमारा प्यार चले तो चांद तक नहीं तो शाम तक वाला नहीं रहा।
 
उस जमाने में बंदिशें बहुत थी। प्रेम पत्र से ही काम चलता था।
 
सबके परिवार की इज्जत का सम्मान करते हुए किसी तरह की जिद्द या धोखेबाजी किसी लड़की से नहीं की।
 
कुछ प्यार कलयुगी भी रहा कुछ इस तरह कि-
 
कल रात मेरा सोना हराम हो गया।
 
पानी में वो भीगी, हमको जुकाम हो गया।
 
हमारे समय में प्यार के इजहार में अनेक कुँवार के महीने निकल जाते थे।
 
आजकल की मोहब्बत में रोज दिल तथा पलंग दोनों टूट रहे हैं। उस समय विरोध वाला प्यार था, निरोध अथवा क्रोध वाला प्रेम नहीं।….
 
अब तो कोई मिल जाती है, तो उसका
 
फिगर खराब है और हमारा लिवर….
 
एक से तो गुस्से में इतना कहकर दूर हो गए थे कि-
 
तुम्हारे गुरूर को देखकर,
 
तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने ।
 
जरा हम भी तो देखे,
 
कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!
 
बहुत लंबी कहानी है दर्द और संघर्ष की।
 
बस इतना समझ लो कि-
 
भोलेनाथ की कृपा से स्वस्थ्य, संपन्न, जिंदा हैं।
 
आप होते, तो रो दिए होते।
 
【३३】अंत में अपना अनुभव यही रहा कि ज्योतिष के बराबर सन्सार में दूसरा कोई गणित नहीं है। ज्योति के सहयोग और शिवकल्यानेश्वर कि कृपा से मुझ जैसे अभागे को अपार सफलता मिली।
 
【३४】कोई निस्वार्थ अच्छा ज्योतिष का जानकार मिलये, तो अपनी कुंडली दिखवाकर निराकरण हेतु पूजा प्रयोग आदि अवश्य करवाएं। निश्चित ही इससे भाग्योदय होता है। यह 16 आने सत्य है।
 
【३५】एक बात स्मरण रखें कि कालसर्प-पितृदोष से बिल्कुल भी भयभीत होने की जरूरत नहीं है। यह फैलाया हुआ महाजाल है। इसके चक्कर में पड़ने वालोंकी खाल उधड़ जाती है। किसी किसी के बाल भी नहीं बचते और माल भी साफ हो जाता है।
 
【३६】कालसर्प की पूजा एक बहुत बड़ा प्रोपोगंडा है। कभी दक्षिण भारत या तिरुपति की तरफ जाएं, तो श्रीकालाहस्ती स्वयम्भू शिवालय में कालसर्प की शांति करा लेवें। यह राहु का वायु तत्व स्वयम्भू शिवलिंग है।
 
जीवन में बड़ा परिवर्तन होता है।
 
【३७】राजस्थान में श्रीनाथद्वारा के पास कारोई नामक एक छोटा सा गाँव है। यहां भी भृगु सहिंता के कुछ अंश उपलब्ध था, लेकिन इस जगह मेरे बारे में ज्यादा कुछ नहीं निकला। केवल सूर्य की पूजा का निर्देश था।
 
【३८】होशियारपुर पंजाब में भी भृगु सहिंता का दशम भाव का थोड़ा सा अंश ही मिला। कुछ उपाय थे, उनको किया।
 
【३९】बनारस के श्री कमलकांत जी गुरु, श्री नीलकंठी जी महाराज भी कुंडली देखने में माहिर थे।
 
【४०】उज्जैन के हस्तरेखा विशेषज्ञ श्री रमेश नाहर को भी अपना हाथ दिखया, उनकी भी अनेक बातें सत्य निकली।
 
【४१】36गढ़ के गुरु विश्वनाथजी ये बहुत बड़े उद्योगपतियों की ही पत्रिका देखते हैं। जिनसे मिलना दुष्कर कार्य था। लेकिन मुझे मिलने का सौभाग्य मिला।
 
【४२】ये कुंडली देखकर ऐसा बताते है कि लगता है, हमारे बारे में उन्हें सब कुछ मालूम हो। इनके द्वारा बताया सूर्यशान्ति कल्प के अनुषां से मुझे एक बड़ी मुसीबत से छुटकारा मिला।
 
【४३】ज्योतिष अदभुत गणित है। बस इसे देखने वाला शिव साधक हो। यह विद्या भोलेनाथ की ही देन है।
 
 
 
 
[[जातक]] के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह '''कुन्डली''' या '''जन्म पत्री''' कहलाती है।