"माधवराव सप्रे": अवतरणों में अंतर
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'''माधवराव सप्रे''' ([[जून]] [[१८७१]] - [[२६ अप्रैल]] [[१९२६]]) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार थे। वे हिन्दी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय कार्य के लिए उपयुक्त अनेक प्रतिभाओं को परख कर उनका उन्नयन किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उनकी अग्रणी भूमिका थी। प्रखर संपादक के रूप में लोक प्रहरी व सुधी साहित्यकार के रूप में उनकी भूमिका लोक शिक्षक की है। कोशकार और अनुवादक के रूप में उन्होंने हिंदी भाषा को समृद्ध किया।
वर्ष 1902 में उन्होंने [[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]] के 'विज्ञान शब्दकोश' योजना को मूर्तरूप देने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली। उन्होने न केवल विज्ञान शब्दकोश का सम्पादन किया, बल्कि [[अर्थशास्त्र]] की शब्दावली की खोजकर उन्होंने इसे संरक्षित और समृद्ध भी किया। कहा जाता है कि हिंदी में अर्थशास्त्रीय चिंतन की परंपरा प्रारंभ सप्रे जी ने ही किया।<ref>[https://www.prabhasakshi.com/personality/pandit-madhavrao-sapre-birth-anniversary-2021 पत्रकारिता को राष्ट्रीय और लोकधर्मी संस्कार देने वाले संपादक थे माधवराव सप्रे]</ref> कुछ लोग उन्हें हिन्दी का प्रथम समालोचक भी मानते हैं।
== परिचय ==
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; मौलिक-
* '''माधवराव सप्रे की कहानियाँ'''-१९८२ (सं०- देबीप्रसाद वर्मा, हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद से)
* '''माधवराव सप्रे : प्रतिनिधि संकलन''' (सं०- मैनेजर पांडेय, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नयी दिल्ली से)
; अनूदित-
* '''श्रीमद्भगवद्गीतारहस्य''' (मूल लेखक- बाल गंगाधर तिलक; नारायण पेठ, तिलक मंदिर, पुणे से, प्रथम संस्करण-१९१७ ई०, २८वाँ संस्करण-२००६)
* '''महाभारत मीमांसा''' (मूल लेखक- चिंतामणि विनायक वैद्य; लक्ष्मीनारायण प्रेस, बनारस से प्रथम संस्करण-१९२० ई०; हरियाणा साहित्य अकादमी, चंडीगढ़ से १९९० ई०)
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* [https://web.archive.org/web/20160305113431/http://dr-mahesh-parimal.blogspot.com/2010/04/blog-post_23.html लोकजागरण के अप्रतिम आस्था थे सप्रे जी]
* [https://web.archive.org/web/20140328220802/http://books.google.co.in/books?id=KsuslfhuiKkC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false माधवराव सप्रे : चुनी हुई रचनाएँ] (गूगल पुस्तक)
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