"विवेकी राय": अवतरणों में अंतर

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| awards = [[यश भारती पुरस्कार|यश भारती]], [[उत्तर प्रदेश सरकार]] द्वारा}}
 
'''विवेकी राय''' (१९ नवम्बर सन् १९२४ - २२ नवम्बर, २०१६), [[हिन्दी]] और [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वेउन्होने ८५ से अधिक पुस्तकों की रचना कर चुकेकी हैं।है। वे [[ललित निबंध]], कथा साहित्य और कविता कर्म में समभ्यस्त हैं। उनकी रचनाएं गंवाई मन और मिज़ाज़ से सम्पृक्त हैं। विवेकी राय का रचना कर्म नगरीय जीवन के ताप से तपाई हुई मनोभूमि पर ग्रामीण जीवन के प्रति सहज राग की रस वर्षा के सामान है जिसमें भींग कर उनके द्वारा रचा गया परिवेश गंवाई गंध की सोन्हाई में डूब जाता है।<ref>[[राजीवरंजन]], विवेकी राय के निबंधों में जीवन-संवेदन, नवनिकष, विवेकी राय विशेषांक, (सम्पादन) लक्ष्मीकांत पाण्डेय, वर्ष-२, अंक-५, नवम्बर, २००८, पृष्ठ ३६-३९ </ref> गाँव की माटी की सोंधी महक उनकी खास पहचान है।<ref> माटी की महक: विवेकी राय, डॉ॰ सत्यकाम </ref> [[ललित निबंध|ललित निबन्ध]] विधा में इनकी गिनती आचार्य [[हजारीप्रसाद द्विवेदी]], [[विद्यानिवास मिश्र]] और [[कुबेर नाथ राय|कुबेरनाथ राय]] की परम्परा में की जाती है।<ref>{{Cite web |url=http://www.samaysamvad.blogspot.in/2014/01/blog-post.html |title=समय संवाद |access-date=6 फ़रवरी 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140222043524/http://samaysamvad.blogspot.in/2014/01/blog-post.html |archive-date=22 फ़रवरी 2014 |url-status=dead }}</ref>
 
==जीवन परिचय==
विवेकी राय का जन्म १९ नवम्बर सन १९२४ में [[उत्तर प्रदेश]] के [[बलिया जिला|बलिया जिले]] के भरौली ग्राम में हुआ था, जो उनका ननिहाल था। प्रारम्भिकउनके जन्म के डेढ़ महीना पहले ही पिता शिवपाल राय की [[प्लेग]] की महामारी से मृत्यु हो गई थी। मां ने अपने मायके में पाला, बड़ा किया। माता का नाम जविता देवी था। उनकी आरम्भिक शिक्षा पैतृक गाँव सोनवानी ([[गाज़ीपुर ज़िला|गाजीपुर जिला]]) में हुई। [[महात्मामिडिल गाँधीकी काशीपढ़ाई विद्यापीठ]]1940 सेमें पी-एच.डी.निकटवर्ती की।गांव शुरूमहेंद में कुछहुई। समयउर्दू खेती-बाड़ीमिडिल भी 1941 में जुटनेउन्होंने महेंद से ही पढ़े। मिडिल तक की पढ़ाई करके प्राइमरी के अध्यापक बन गए। इसके बाद अध्यापनस्वयंशिक्षा कार्यद्वारा व्यक्तिगत परीक्षा देकर आगे बढ़ते गए। सामने माटी का दीया था, बगल में संलग्नमाँ का दुलार। विवेकी पढ़ा रहे थे और पढ़ भी रहे हुए।थे।
 
हिंदी विशेष योग्यता 1943 में, विशारद 1944 में, साहित्यरत्न 1946 में, साहित्यालंकार 1951 में, हाईस्कूल 1953 में नरहीं (बलिया) से किया था, इंटर 1958 में, बीए 1961 में और एम.ए. की डिग्री श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज खरडीहां (गाज़ीपुर) 1964 में ली थी। उसी क्रम में वह 1948 में नार्मल स्कूल, [[गोरखपुर]] से हिंदुस्तानी टीचर्स सर्टिफेकेट भी प्राप्त किया। सन 1970 ई. में "स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथा साहित्य और ग्राम्य जीवन" विषय पर [[महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ|काशी विद्यापीठ, वाराणसी]] से पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। स्नातकोत्तर परीक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। यह अपने आप में शैक्षिक मूल्यों की प्राप्ति और प्रदेय का अनूठा उदाहरण है।
 
जब विवेकी राय 7वीं कक्षा में अध्यन कर रहे थे उसी समय से डॉ.विवेकी राय जी ने लिखना शुरू किया। गाजीपुर के एक कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव के किसान बने रहे थे। डॉ. विवेकी राय गाँव की बनती-बिगड़ती जिंदगी के बीच जीते हुए और उसे पहचानते हुए चलते रहे थे। इसलिए गाँव के जीवन से सम्बंधित उनके अनुभवों का खजाना चुका नहीं, नित भरता ही गया।
 
== साहित्यिक अवदान ==
विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में 1945 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद उनकी लेखनी हर विधा पर चलने लगी जो आजीवन चलती रही। उनका रचना कार्य कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, समीक्षा, सम्पादन एवं पत्रकारिता आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। अब तक उन सभी विधाओं से सम्बन्धित लगभग 60 कृतियाँ आपकी प्रकाशित हो चुकी हैं और लगभग 10 प्रकाशनाधीन हैं।
 
'''मनबोध मास्टर की डायरी '''और '''फिर बैतलवा डाल पर '''इनके सबसे चर्चित निबंध संकलन हैं और '''सोनामाटी''' उपन्यास राय का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है।<ref>निवेदिता : विवेकी राय विशेषांक, (सम्पादक) मान्धाता राय, सहजानंद महाविद्यालय, गाजीपुर </ref>
 
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===भोजपुरी===
====निबंध एवं कविता====
* ''भोजपुरी निबंध निकुंज : भोजपुरी के तैंतालिस चुने हुए निबन्ध'', अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, १९७७
 
* ''गंगा, यमुना, सरवस्ती: भोजपुरी कहानी, निबंध, संस्मरण'', भोजपुरी संस्थान, १९९२
* ''जनतागंगा, केयमुना, सरवस्ती पोखरा: तीनिभोजपुरी गोकहानी, भोजपुरीनिबंध, कवितासंस्मरण'', भोजपुरी साहित्य संस्थान, १९८४१९९२
 
* विवेकी राय के व्याख्यान'', ''भोजपुरी अकादमी, पटना, तृतीय वार्षिकोत्सव समारोह, रविवार, २ मई १९८२, पर आयोजित व्याख्यानमाला में 'भोजपुरी कथा साहित्य का विकास' विषय पर दिये। भोजपुरी अकादमी, १९८२
* ''जनता के पोखरा : तीनि गो भोजपुरी कविता'', भोजपुरी साहित्य संस्थान, १९८४
 
* विवेकी राय के व्याख्यान'', ''भोजपुरी अकादमी, पटना, तृतीय वार्षिकोत्सव समारोह, रविवार, २ मई १९८२, पर आयोजित व्याख्यानमाला में 'भोजपुरी कथा साहित्य का विकास' विषय पर दिये। भोजपुरी अकादमी, १९८२
 
====उपन्यास====
* ''अमंगलहारी'', [[भोजपुरी संस्थान]], १९९८
 
* ''के कहला चुनरी रंगा ला'', [[भोजपुरी संसद]], १९६८
 
* ''गुरु-गृह गयौ पढ़न रघुराय'', १९९२
 
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}}</ref>
* [[उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ|उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान]] द्वारा ‘प्रेमचन्द पुरस्कार’ , साहित्य भूषण सम्मान,
 
* [[मध्य प्रदेश सरकार|मध्य प्रदेश शासन]] द्वारा ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’,
 
* [[बिहार]] राजभाषा विभाग द्वारा ‘आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार’
 
* [[अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन|हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग]] द्वारा 'विद्यावाचस्पति’ और ‘साहित्य महोपाध्याय’ सम्मान।
 
* २००१ में महापंडित[[ राहुल सांकृत्यायन ]]पुरस्कार
 
* २००६ में [[यश भारती पुरस्कार]]
 
* २०१६ में [[शार्परिपोर्टर]] आंचलिक पत्रकारिता युगपुरूष सम्‍मान, [[आजमगढ़ जिला|आजमगढ]]
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== टिप्पणी ==