"मिश्रित खेती": अवतरणों में अंतर

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मिश्रित् खेती क्यों?
मिश्रित खेती कहीं पर लाभ के उद्देश्य से किया जाता है तो कहीं मजबूरी के कारण। जैसे किसी क्षेत्र विशेष में अगर पशुओं की महामारी होने की सम्भावना संभावना रहती है तो केवल फसल उत्पादन ही कर पाता है और यदि फसलों में बीमारी होने की सम्भावना हो तो कृषक अपने अजीविका के लिये पशुपालन की तरफ देखता है।
 
== मिश्रित खेती/फसल प्रणाली के लाभ- ==
 
# विभिन्न उत्पादन प्राप्ति – [https://frystudy.com/mishrit-kheti-kise-kahate-hain/ मिश्रित फसल प्रणाली] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20210525022920/https://frystudy.com/mishrit-kheti-kise-kahate-hain/ |date=25 मई 2021 }} से एक ही खेत से विभिन्न उत्पाद एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं जैसे- धान्य, पशुओं के लिए चारा तथा सब्जी आदि एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे किसान की परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है।
# मिट्टी की उर्वरता में सुधार – धान्य फसलें मृदा से पोषक तत्व अधिक मात्रा में अवशोषित करती है। निरंतर धान्य फसलों को उगाने से मृदा की उर्वरता कम हो जाती है।
# फसल नष्ट होने का जोखिम नहीं – मिश्रित फसल प्रणाली में अलग-अलग स्वभाव की फसलें उगाने से वर्षा की अनिश्चितता के कारण फसल के नष्ट होने का जोखिम कम हो जाता है।
# मृदा के पोषक तत्व का उचित प्रयोग – सतह भौजी तथा गहरे भोजी जड़ वाली फसलों के साथ साथ उगाने से मृदा की विभिन्न गहराई से पोषक तत्व का उचित उपयोग हो जाता है।
# पीडक जीवो द्वारा न्यूनतम क्षति – विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने से पीडक जीवो तथा‌ खरपतवार से होने वाली क्षति कम होती है।
 
== इन्हें भी देखें ==