"हो (जनजाति)": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ho Tribal Lady.jpg|right\thumb\300px|'''हो स्त्री''']]
'''हो''' (जनजाति), भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं।
''''हो'''' एक [[आदिवासी]] समुदाय है जो [[भारत]] के [[झारखण्ड|झारखंड]] राज्य के [[सिंहभूम|सिंहभूम जिले]] तथा पड़ोसी राज्य [[ओडिशा|उड़ीसा]] के [[क्योंझर]], [[मयूरभंज जिला|मयूरभंज]], [[जाजपुर]] जिलों में निवास करती है।
 
''''हो'''' (जनजाति), भारत की एक प्रमुख [[आदिवासीजनजाति]] समुदाय है जो [[भारत]] के [[झारखण्ड|झारखंड]] राज्य के [[सिंहभूम|सिंहभूम जिले]] तथा पड़ोसी राज्य [[ओडिशा|उड़ीसा]] के [[क्योंझर]], [[मयूरभंज जिला|मयूरभंज]], [[जाजपुर]] जिलों में निवास करती है।
‘हो’ समुदाय की अपनी [[संस्कृति]] और रीति-रिवाज हैं। ये प्रकृति के उपासक होते हैं। इनके अपने-अपने [[गोत्र]] के कुल-देवता होते हैं। 'हो' लोग [[मन्दिर|मन्दिर]] मे स्थापित देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना नहीं करते बल्कि अपने ग्राम देवता ‘देशाउलि’ को अपना सर्वेसर्वा मानते हैं। अन्य अवसरों के अलावा प्रति वर्ष [[मागे परब]] के अवसर पर बलि चढ़ा कर ग्राम पुजारी “दिउरी” के द्वारा इसकी पूजा-पाठ की जाती है तथा गाँव के सभी लोग पूजा स्थान पर एकत्रित हो कर ग्राम देवता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
 
‘हो’ समुदाय की अपनी [[संस्कृति]] और रीति-रिवाज हैं। ये [[प्रकृति]] के उपासक होते हैं। इनके अपने-अपने [[गोत्र]] के कुल-देवता होते हैं। 'हो' लोग [[मन्दिर|मन्दिर]] मे स्थापित देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना नहीं करते बल्कि अपने ग्राम देवता ‘देशाउलि’ को अपना सर्वेसर्वा मानते हैं। अन्य अवसरों के अलावा प्रति वर्ष [[मागे परब]] के अवसर पर बलि चढ़ा कर ग्राम पुजारी “दिउरी” के द्वारा इसकी पूजा-पाठ की जाती है तथा गाँव के सभी लोग पूजा स्थान पर एकत्रित हो कर ग्राम देवता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
 
'''[[हो भाषा|हो]]''' जनजातियों कीइनकी मुख्य [[भाषा ]] है , जो आस्ट्रो - एशियाई भाषा परिवार की मुण्डा भाषा परिवार की एक भाषा है है। उसकी लिपि [[वारंगचिती]] <ref>{{Cite web|url=https://www.swarthmore.edu/SocSci/langhotspots/Ho/alphabet.html|title=The Ho Language :: The Warang Chiti Alphabet|website=www.swarthmore.edu|access-date=2021-06-02}}</ref> है ।
'''<u>भाषा</u>'''
 
हो जनजातियों की मुख्य भाषा है , जो आस्ट्रो - एशियाई भाषा परिवार की मुण्डा भाषा परिवार की एक भाषा है उसकी लिपि वारंगचिती <ref>{{Cite web|url=https://www.swarthmore.edu/SocSci/langhotspots/Ho/alphabet.html|title=The Ho Language :: The Warang Chiti Alphabet|website=www.swarthmore.edu|access-date=2021-06-02}}</ref> है ।
 
== निवास क्षेत्र ==
 
सामान्य रूप से इनका दैनिक भोजन [[चावल]] है। है,पेय के रूप में डियांग का उपयोग करते है,इसका निर्माण चावल को उबाल कर के उसमें रानू मिला कर जावा किया जाता है इसके उपरांतउपरान्त चार दिनों के बाद यह पेय तैयार होता है इसका उपयोग गर्मियों में लू से बचने के लिये भी किया जाता है। वे खास व्यंजन '''लेटो मांडी और पोडोम जीलू है''' वे साग सब्जियाँ , कन्द - मूल और मांस खाते हैं | के सन्दर्भ में लोगहैं।लोग जैसे जैसे शहरों में रहने लगे है इनके भोजन में विविधता दिखाई देती हैहै। अब ये चावल के साथ साथ गेहूं के उत्पाद भी खाते हैंहैं।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==इन्हें भी देखें==
'''<u>*[[हो भाषा</u>''']]
 
== बाहरी कड़ियाँ==