"निबन्ध": अवतरणों में अंतर

टैग: 2017 स्रोत संपादन
अनुनाद सिंह के अवतरण 2896522पर वापस ले जाया गया : - (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 1:
'''निबन्ध''' (Essay) [[गद्य]] लेखन की एक [[विधा]] है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है। इसे अंग्रेजी के कम्पोज़ीशन और एस्से7एस्से के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। किन्तु वर्तमान काल के निबंध संस्कृत के निबंधों से ठीक उलटे हैं। उनमें व्यक्तित्व या वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है।
[[File:Essais Titelblatt (1588).png|thumb|[[मान्तेन]] का एक निबंध]]
'''निबन्ध''' (Essay) [[गद्य]] लेखन की एक [[विधा]] है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है। इसे अंग्रेजी के कम्पोज़ीशन और एस्से7 के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। किन्तु वर्तमान काल के निबंध संस्कृत के निबंधों से ठीक उलटे हैं। उनमें व्यक्तित्व या वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है।
 
इतिहास-बोध परम्परा की रूढ़ियों से मनुष्य के व्यक्तित्व को मुक्त करता है। निबंध की विधा का संबंध इसी इतिहास-बोध से है। यही कारण है कि निबंध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है।
Line 13 ⟶ 12:
सारी दुनिया की भाषाओं में निबंध को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही मिली है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक, सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है। इस मुक्ति से निबंध का गहरा संबंध है।
 
[[ललितहजारीप्रसाद अत्री‌ जीद्विवेदी]] के अनुसार-
 
: ''"नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है।
इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्त्व है।
 
[[आचार्य रामचंद्र शुक्ल PC]] ने लिखा है :
 
:''" निबंध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है, किसी का किसी पर। इसी का नाम है एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है।
 
इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता जिनका पालन करना निबंधकार के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते हैं। निबंध में सहज, सरल और आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है।
 
'[[हिन्दी साहित्य कोश]]' के अनुसार:
 
: ''"लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी सच्ची और सघन होगी, उसका निबंध पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र असर करेगा। इसी आत्मीयता के फलस्वरूप निबंध-लेखक पाठकों को अपने पांडित्य से अभिभूत नहीं करना चाहता।
 
इस प्रकार निबंध के दो विशेष गुण हैं-
 
*(१)1. व्यक्तित्व की अभिव्‍यक्ति
 
*(२)2. सहभागिता का आत्मीय या अनौपचारिक स्तर
 
निबंध का आरंभ कैसे हो, बीच में क्या हो और अंत किस प्रकार किया जाए, ऐसे किसी निर्देश और नियम को मानने के लिए निबंधकार बाध्य नहीं है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि निबंध एक उच्छृंखल रचना है और निबंधकार एक उच्छृंखल व्यक्ति। निबंधकार अपनी प्रेरणा और विषय वस्तु की संभावनाओं के अनुसार अपने व्यक्तित्व का प्रकाशन और रचना का संगठन करता है। इसी कारण निबंध में शैली का विशेष महत्त्व है।
 
== हिन्दी साहित्य में निबन्ध ==
हिन्दी साहित्य के आधुनिक युग में [[भारतेन्दु हरिश्चंद्रहरिश्चन्द्र|भारतेन्दु]] और उनके सहयोगियों से निबंध लिखने की परम्परा का आरंभ होता है। निबंध ही नहीं, [[गद्य]] की कई विधाओं का प्रचलन भारतेन्दु से होता है। यह इस बात का प्रमाण है कि गद्य और उसकी विधाएँ आधुनिक मनुष्य के स्वाधीन व्यक्तित्व के अधिक अनुकूल हैं। मोटे रूप में स्वाधीनता आधुनिक मनुष्य का केन्द्रीय भाव है। इस भाव के कारण परम्परा की रूढ़ियाँ दिखाई पड़ती हैं। सामयिक परिस्थितियों का दबाव अनुभव होता है। भविष्य की संभावनाएँ खुलती जान पड़ती हैं। इसी को इतिहास-बोध कहा जाता है। भारतेन्दु युग का साहित्य इस इतिहास-बोध के कारण आधुनिक माना जाता है।
 
== प्रमुख हिंदी निबंधकार ==
Line 44 ⟶ 43:
* [[बालकृष्ण भट्ट]]
* [[बालमुकुंद गुप्त]]
* [[पूर्णसिंह|सरदार पूर्ण सिंह]]
* [[महावीर प्रसाद द्विवेदी]]
* [[चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'|चंद्रधर शर्मा गुलेरी]]
* [[हजारीप्रसाद द्विवेदी|हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
* [[रामचन्द्र शुक्ल]]
* [[महादेवी वर्मा]]
* [[कुबेर नाथ राय|कुबेरनाथ राय]]
* [[विद्यानिवास मिश्र]]
* [[नंददुलारे वाजपेयी]]
* [[अपूर्वा ]]
* [[ललित अत्री]]
*[[धर्मवीर भारती]]
 
== इन्हें भी देखें ==
Line 61 ⟶ 57:
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://hindi.webdunia.com/kidsworld-hindi-nibandh/%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-1110921055_1.htm हिन्दी निबन्ध कैसे लिखें]
* [https://web.archive.org/web/20180411175048/http://evirtualguru.com/hindi-essays/ हिन्दी निबन्ध (लगभग ५००)]
* [http://books.google.co.in/books?id=FbDXYHVb-eIC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false आधुनिक निबन्ध] (गूगल पुस्तक)
* [https://web.archive.org/web/20170418083939/http://www.hindivyakran.com/p/hindi-essay-writing.html हिन्दी निबन्ध कैसे लिखें]
* [http://books.google.co.in/books?id=Qy_TnHU5zbAC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false साहित्यिक निबन्ध] (गूगल पुस्तक ; लेखक - गणपतिचन्द्र गुप्त)
* [https://web.archive.org/web/20101226151348/http://www.abhivyakti-hindi.org/rachanaprasang/2007/lalit_nibandh.htm ललित निबन्ध]
* [http://books.google.co.in/books?id=9xsFNtLsufoC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=true निबंधों की दुनिया] (गूगल पुस्तक ; डॉ रामविलास शर्मा)
* [https://web.archive.org/web/20111107224819/http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/hindi-nibandh/index.htm वेबदुनिया निबंध संग्रह] - हिन्दी में निबंध संग्रह
* [http://lalitnibandha.blogspot.com/ ललित निबंध संचयन] - हिंदी के महत्वपूर्ण ललितनिबंधकारों की रचनाए
* [[https://web.archive.org/web/20191203031510/https://www.essayonfest.online/ त्योहार पर निबंध]]
* [http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/index.htm '''अभिव्यक्ति''' रचना प्रसंग] - हिन्दी दिवस पर विशेष
* [https://web.archive.org/web/20101226151348/http://www.abhivyakti-hindi.org/rachanaprasang/2007/lalit_nibandh.htm ललित निबन्ध]
* [http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/C/CRRajshree/mahadevi_rekhachitr_Alekh.htm महादेवी वर्मा और रेखाचित्र - गौरा और सोना के सन्दर्भ में] - रेखाचित्र निबंध की एक नवीन विधा है।
* [https://web.archive.org/web/20111107224819/http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/hindi-nibandh/index.htm वेबदुनिया निबंध संग्रह] - हिन्दी में निबंध संग्रह
* [http://www.essaysinhindi.com/ आनलाइन हिन्दी निबन्ध]
 
[[श्रेणी:साहित्य]]
[[श्रेणी:गद्यहिन्दी]]