"वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर": अवतरणों में अंतर

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| name = वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर
| image =Baba_Dham.jpg
| caption = बैद्यनाथ शिव मंदिर और पार्वती माता का मंदिर के साथ एक पवित्र लाल रस्सी से बंधाबंधे हुआहुए हैहैं।
| country = [[भारत]]
| state = [[झारखंड|झारखण्ड]]
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• [[रावण ]]द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग|associate=द्वादश ज्योतिर्लिंग|festivals=[[महाशिवरात्रि]]|mantra=ॐ नमः शिवाय|caption=ऊपर से नीचे की ओर चित्र: (1). भगवान वैद्यनाथ महादेव के ज्योतिर्लिंग की पूजा करते पुजारी, (2). प्राचीन बैद्यनाथ मंदिर जिसे आक्रमणकारियों ने विध्वंश कर दिया था (3). बाबा वैद्यनाथ धाम की वर्तमान मनमोहक कायाकल्प का दृश्य}}
 
'''वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर''' ([[अंग्रेजी]]:Baidyanath Temple) [भारतवर्ष]] के राज्य [[झारखंडझारखण्ड]] मेंराज्य अतिप्रसिद्धके [[देवघर]] नामक स्‍थान परमें अवस्थित एक प्रसिद्ध [[मंदिर]] है।<ref>{{Cite web |url=http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150217161204/http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |archive-date=17 फ़रवरी 2015 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150416162326/http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |archive-date=16 अप्रैल 2015 |url-status=dead }}</ref> पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को "देवघर" अर्थात् देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथ स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं। बैजनाथ अहिर ने सर्वप्रथम . बाबा धाम की पूजा के बाद [[सिंहेश्वर]] बाबा की पूजा अति आवश्यक है ।
 
देवघर में [[शिव]] का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर वर्ष [[सावन]] के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु "बोल-बम!" "बोल-बम!" का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु [[सुल्तानगंज]] से पवित्र [[गंगा]] का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
 
== स्थापना व कथा ==
इस लिंग की स्थापना का [[इतिहास]] यह है कि एक बार राक्षसराज [[रावण]] ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर [[तपस्या]] की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा। रावण ने [[लंका]] में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे [[पृथ्वी]] पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। अन्ततोगत्वा वही हुआ। रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ था ,व्यक्ति को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर उन अहीरव्यक्ति ने ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया। फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका को चला गया। इधर [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की वहीं उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर दी और शिव-स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग को चले गये। जनश्रुति व लोक-मान्यता के अनुसार यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग मनोवांछित फल देने वाला है।
 
==सरदार पंडा की सूची==