"सत्कार्यवाद": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 17:
: ''शक्तस्य शक्यकरणात् कारणभावाच्च सत्कार्यम् ॥ ९ ॥''<ref>{{Cite web|title=Ishvarakrishna's sAnkhyakArikA|url=http://sanskritdocuments.org/doc_z_misc_major_works/IshvarakRiShNasAnkyakArikA.pdf|url-status=live|archive-url=https://web.archive.org/web/20120223144612/http://www.sanskritdocuments.org/all_pdf/IshvarakRiShNasAnkyakArikA.pdf|archive-date=2012-02-23|access-date=2020-11-23|website=sanskritdocuments.org}}</ref>
: '''अर्थ''' : सत्कार्य (कार्य की कारण में ही पूर्व-उपस्थिति) पाँच कारणों से है - असदकारण से (असदकारणात् ) , उपादानग्रहण से ( उपादानग्रहणात् ), सर्वसम्भवाभाव से ( सर्वसम्भवाभावात् ) , शक्त के शक्यकरण से (शक्तस्य शक्यकरणात् ), कारणभाव से (कारणभावत् ) ।
# '''असदकारण''' : जिसका अस्तित्व नहीं है, उसे उत्पन्न नहीं किया जा सकता।
# '''उपादानग्रहण''' : कुछ उत्पन्न करने के लिये सही उपादान (material) होना चाहिये।
|