"वृन्दावन": अवतरणों में अंतर

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== वृन्दावन में यमुना के घाट ==
वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। उनमें से कुछ प्रसिद्ध-प्रसिद्ध घाटों का उल्लेख किया जाघाट रहाहैं है-
 
* '''श्रीवराहघाट'''- वृन्दावन के दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्राचीन यमुनाजी के तट पर श्रीवराहघाट अवस्थित है। तट के ऊपर भी श्रीवराहदेव विराजमान हैं। पास ही श्रीगौतम मुनि का आश्रम है।
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* '''आदिबद्रीघाट'''- पानीघाट से कुछ दक्षिण में यह घाट अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों को आदिबद्री नारायण का दर्शन कराया था।
* '''श्रीराजघाट'''- आदि-बद्रीघाट के दक्षिण में तथा वृन्दावन की दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राचीन यमुना के तट पर राजघाट है। यहाँ कृष्ण नाविक बनकर सखियों के साथ श्री राधिका को यमुना पार करात थे। यमुना के बीच में कौतुकी कृष्ण नाना प्रकार के बहाने बनाकर जब विलम्ब करने लगते, उस समय गोपियाँ महाराजा कंस का भय दिखलाकर उन्हें शीघ्र यमुना पार करने के लिए कहती थीं। इसलिए इसका नाम राजघाट प्रसिद्ध है।
इन घाटों के अतिरिक्त 'वृन्दावन-कथा' नामक पुस्तक में और भी 14 घाटों का उल्लेख आता है-
 
:(1) महानतजी घाट (2) नामाओवाला घाट (3) प्रस्कन्दन घाट (4) कडिया घाट (5) धूसर घाट (6) नया घाट (7) श्रीजी घाट (8) विहारी जी घाट (9) धरोयार घाट (10) नागरी घाट (11) भीम घाट (12) हिम्मत बहादुर घाट (13) चीर या चैन घाट (14) हनुमान घाट।
 
== वृन्दावन के पुराने मोहल्लों के नाम ==