हल्दी की थोडी सी जानकारी दी है
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हल्दी, हेल्दी बनाने में सहायक..
अमृतमपत्रिका, ग्वालियर की खोज।
हल्दी को हरिद्रा भी कहते हैं। यह मङ्गल कार्यों में विशेष शुभदायक है। पूजा में इसके उपयोग से गुरु ग्रह की कृपा मिलती है। हल्दी सुख-सौभाग्य की प्रतीक है। पैदा होने लेकर मरने तक हल्दी साथ निभाती है।
 
मर्द हो या महिला 10 ग्राम हल्दी पॉवडर की 30 खुराक बनाकर एक रोज गुनगुने दूध में डालकर पीना लाभकारी रहता है। अगर पित्त दोष तथा बवासीर, गर्मी की परेशानी हो, तो हल्दी का सेवन न करें।
 
 
हल्दी का ताकत या मर्दाना पन से कोई लेना-देना नहीं है। हल्दी हेल्दी बनाती है यह बात सही है। लेकिन एक महीने में 10 से 12 ग्राम तक ही हल्दी पावडर का सेवन हितकारी होता है। इससे अधिक लेने से फेफड़ों की सूक्ष्म नलिकाएं जाम होने लगती है।
 
ज्यादा हल्दी खाने से फेफड़ों में सिकुड़न होने लगती है। अगर आपको कोई एलर्जी, सर्दी-खांसी नहीं है, तो हल्दी दूध के साथ कभी नहीं लेना चाहिए।
 
हल्दी का अधिक उपयोग पित्त की वृद्धि करता है। हल्दी से पसीना भी ज्यादा आता है।
 
आयुर्वेद चंद्रोदय ग्रन्थ के मुताबिक हल्दी केवल सर्दी के समय ही लेना फायदेमंद होता है।
 
मार्च-अप्रैल में नई हल्दी बाजार में ठेलों पर बिकती है। हल्दी तब विशेष लाभकारी हो जाती है, जब नई कच्ची हल्दी को दूध में अच्छी तरह उबालकर लेवें। प्राचीन परंपराआ यही है। गूगल आदि पर हल्दी के बहुत ही गलत उपयोग बताए जा रहे हैं, इससे शरीर को बहुत हानि हो रही है।
 
नमक, मीठा, घी, फल आदि सभी बहुत हितकारी एवं जरूरी हैं लेकिन इनसे पेट नहीं भरा जा सकता। कुछ समय में हल्दी को अमृत बनादिया, किंतु अत्यढोक मात्रा लेने के कारण लिवर में सूजन आदि की समस्या बढ़ती जा रही है।कुछ लोगों को हल्दी के सेवन से बिना पाइल्स के भी मलद्वार में खून आने लगता है।
 
पुरानी एक सूक्ति है-
 
!!अति सर्वत्र वर्जते!!
 
आयुर्वेद में हर चीज की एक निश्चित मात्रा निर्धारित है। जसए-तुलसी के 4 से 5 पत्ते ही पर्याप्त हैं। नीम की नई कोपल ही खाने का निर्देश है। 12 महीने नीम खाने से अल्सर, थायराइड, जोड़ों में दर्द आदि की समस्या खड़ी हो जाती है।
 
द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक किसी भी कड़वी वस्तु का अधिक उपयोग शरीर से रस को कम कर देता है, जिससे हड्डियों में कमजोरी तथा आवाज आने लगती है।
 
हल्दी के फायदे….
 
दांत दर्द में हल्दी भुजंकर दांतों में दबाने से दर्द मिट जाता है।
 
दारुहल्दी वात रोगों में उपयोगी है।
 
आमाहल्दी सभी तरह की हड्डि जोडने में काम आती है। इसका लेप करते हैं।
 
व्यापार-कारोबार वृद्धि में चमत्कारी-हल्दी….
 
व्यापार स्थल पर हरेक रविवार दुपहर 11.48 से 12.32 के बीच 9 हल्दी की गांठे सफेद धागे में बांधकर दुकान या उद्योग के मुख्य द्वार पर माला लटका दी जाए, तो सारे वास्तु दोष, नजर आदि दूर होते है।
 
भारत में हल्दीघाटी युद्ध के मैदान की वजह से बहुत प्रसिद्ध है। यह स्थान उदयपुर राजस्थान से 35 km तथा श्रीनाथ द्वारा मन्दिर से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ की सभी घाटियों का रंग हल्दी जैसा है। इसी जगह महाराणा प्रताप एवं चेतक घोड़े की समाधि बनी है।
 
यहां पर गुलाब पुष्प की बहुतायत मात्रा में खेती होती है। गुलकन्द बहुत प्रसिद्ध है।
 
त्रिचनूर में माँ पद्मावती का गुरुवार के दिन हल्दी से लेप लिया जाता है-
 
 
आविवाहित लोग यदि किसी शिवलिंग या घर के मन्दिर में मिट्टी के दीपक या सकोरे में 27 ग्राम पिसी हल्दी, 5 रेशे केशर के 9 गुरुवार नियमित रखें, तो तत्काल विवाह हो जाता है।
 
[[चित्र:FleurDeCurcuma1.jpg|right|thumb|300px|हल्दी का पौधा : इसके पत्ते बड़े-बड़े होते हैं।]]
 
'''हल्दी''' (टर्मरिक) भारतीय वनस्पति है। यह [[अदरक]] की प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है। हल्दी को [[आयुर्वेद]] में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं।
[[आयुर्वेद]] में हल्‍दी को एक महत्‍वपूर्ण [[औषधि]]‍ कहा गया है। [[भारतीय रसोई]] में इसका महत्वपूर्ण स्थान है और धार्मिक रूप से इसको बहुत शुभ समझा जाता है। [[विवाह]] मेंके तोएक हल्दीदिन कीपूर्व रसमवर और वधू दोनों के शरीर पर हल्दी का अपनालेप एककरने विशेषकी महत्वप्रथा है।
 
* लैटि‍न नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
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हल्दी<ref>[https://www.stylecraze.com/hindi/haldi-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi]</ref> को आयुर्वेदिक पदार्थ माना जाता है। ऐसा मानने के पीछे इसमें मौजूद औषधीय गुण है। इसके औषधीय गुण कई बीमारियों से बचाएं रखने और उनसे राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी को लेकर किए गए रिसर्च के मुताबिक, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को सुरक्षित रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को नुकसान से बचाने वाला गुण) गुण होते हैं।
 
==हल्दी के फायदेलाभ==
सेहत पर हल्दी के कई लाभ नजर आ सकते हैं, जिनमें से कुछ इस तरह से हैं:
 
1. '''मधुमेह से बचाव'''- मधुमेह के जोखिम से बचने के लिए हल्दी का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च की मानें, तो प्रीडायबिटिक लोगों को नौ महीने तक हल्दी दी गई। इससे हल्दी के मुख्य घटक करक्यूमिन ने मधुमेह के जोखिम को पनपने से रोकने का काम किया। एक अन्य रिसर्च के अनुसार, हल्दी में एंटी-डायबिटिक गुण भी होते हैं, जो मधुमेह की समस्या को दूर रख सकते हैं।
 
2. '''प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती'''- शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में भी हल्दी की अहम भूमिका हो सकती है। दरअसल, हल्दी में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट पाए जाते हैं, ये एजेंट टी व बी सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) की कार्यप्रणाली को बेहतर करने का काम कर सकता है। इन कोशिकाओं को इम्यून सेल्स के रूप में भी जाना जाता है<ref>[https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17211725]</ref>।
 
3. '''कैंसर से बचाव'''- कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से हर कोई बच के रहना चाहेगा और इस काम में हल्दी मदद कर सकती है। इस संबंध में प्रकाशित मेडिकल रिसर्च में दिया हुआ है कि हल्दी में एंटी कैंसर गुण होता है। यह एंटी कैंसर गुण प्रोस्ट्रेट, स्तन व लंग्स कैंसर को पनपने से रोक सकता है।
 
4. '''हृदय को स्वस्थ रखने के लिए'''- हल्दी के फायदे में हृदय को स्वस्थ रखना भी शामिल है। एक वैज्ञानिक शोध में दिया हुआ है कि हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन में कार्डियो प्रोटेक्टिव गुण होते हैं। इस गुण के कारण हृदय रोग के जोखिम को दूर रखा जा सकता है।
5. '''चिंता से राहत'''- चिंता यानी (एंग्जायटी) की समस्या से छुटकारा पाने में भी हल्दी मददगार हो सकती है। दरअसल, हल्दी में एंटी-एंग्जायटी प्रभाव पाए जाते हैं, जो चिंता से राहत दिला सकते हैं।
 
6. '''गठिया के लिए'''- हल्दी के उपयोग से [[गठिया]] की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। दरअसल, हल्दी में एंटी-इंफ्मेटरी गुण होते हैं, जो गठिया के लक्षणों से राहत पहुंचा सकते हैं। इससे गठिया की समस्या कम हो सकती है।
 
== उपयोग ==
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हल्दी और करक्यूमिन (इसके घटकों में से एक) का विभिन्न मानव रोगों और स्थितियों के लिए कई नैदानिक ​​[[:en:Clinical_trial|परीक्षणों]] में अध्ययन किया गया है; बड़े पैमाने पर या दोषपूर्ण तरीके से कमी, किसी ने भी उच्च गुणवत्ता के प्रमाण नहीं दिए हैं।<ref name=":0" /><ref>{{Cite journal|last=Daily|first=James W.|last2=Yang|first2=Mini|last3=Park|first3=Sunmin|date=2016-08|title=Efficacy of Turmeric Extracts and Curcumin for Alleviating the Symptoms of Joint Arthritis: A Systematic Review and Meta-Analysis of Randomized Clinical Trials|url=https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/27533649|journal=Journal of Medicinal Food|volume=19|issue=8|pages=717–729|doi=10.1089/jmf.2016.3705|issn=1557-7600|pmc=5003001|pmid=27533649}}</ref><ref>{{Cite journal|last=Vaughn|first=Alexandra R.|last2=Branum|first2=Amy|last3=Sivamani|first3=Raja K.|date=2016-08|title=Effects of Turmeric (Curcuma longa) on Skin Health: A Systematic Review of the Clinical Evidence|url=https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/27213821|journal=Phytotherapy research: PTR|volume=30|issue=8|pages=1243–1264|doi=10.1002/ptr.5640|issn=1099-1573|pmid=27213821}}</ref> मनुष्यों पर नैदानिक ​​परीक्षणों से कोई उच्च गुणवत्ता का सबूत नहीं है कि कर्कुमिन (2020 तक) [[:en:Inflammation|सूजन]] को कम करता है।<ref name=":0" /><ref name=":1" />
 
==हल्दी का साग==
कच्ची हल्दी की सब्जी [[राजस्थान]] की परम्परागत सब्जी है जो शादी या अन्य मांगलिक अवसरों पर बनाई जाती है। कच्ची हल्दी की सब्जी सर्दियों के मौसम में बनाई जाती है (कच्ची हल्दी आती ही सर्दियों के मौसम में है)। कच्ची हल्दी पीले रंग की अदरक की तरह गांठे होती हैं।
 
कच्ची हल्दी को देशी घी में तलकर सब्जी बनाते हैं ताकि उसका कड़वा स्वाद खाने में न आये। हल्दी की सब्जी बनाने में घी भी बहुत लगता है। हल्दी की सब्जी सिर्फ कच्ची हल्दी से बनाई जाती है। दूसरे तरीका में हल्दी के साथ सब्जी में मटर, गोभी दोनों, या केवल मटर भी तल कर डाले जा सकते हैं।
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हल्दी" से प्राप्त