"दसम ग्रंथ": अवतरणों में अंतर

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नीचे चंडी चरित्र का प्रसिद्ध [[शबद]] देखिये। इसमें गुरुजी [[चण्डी|अकाल पुरख]] की स्तुति करते हुए उनसे वरदान मांगते हैं कि मैं कभी भी शुभ कर्मों को करने से पीछे न हटूँ। यह शबद [[ब्रजभाषा]] में है।
 
:'' देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरों।