"उद्यान विज्ञान": अवतरणों में अंतर

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पादपों के अंकुरित होने पर निम्नलिखित का प्रभाव पड़ता है : बीज, पानी, उपलब्ध आक्सीजन, ताप और बीज की आयु तथा परिपक्वता।
 
अंकुरण के सहायक - अधिकांश बीज उचित रीति से बोने पर बड़ी सरलता से अंकुरित होते
अंकुरण के सहायक - अधिकांश बीज उचित रीति से बोने पर बड़ी सरलता से अंकुरित होते हैं, किंतु कुछ ऐसी जाति के बीज होते हैं जो बहुत समय में उगते हैं। प्रयोगों में देखा गया है कि एनज़ाइमों के घोलों में बीजों को कई घंटों भिगों रखने पर अधिक प्रतिशत बीज अंकुरित होते हैं। कभी-कभी बीज के ऊपर के कठोर अस्थिवत् छिलकों को नरम करने तथा उनके त्वक्छेदन के लिए रासायनिक पदार्थों (क्षीण अम्ल या क्षार) का भी प्रयोग किया जाता है। झड़बरी (ब्लैकबेरी) या रैस्पबेरी आदि के बीजों के लिए सिरका बहुत लाभ पहुँचाता है। सल्फ़्यूरिक अम्ल, 50 प्रतिशत अथवा सांद्र, कभी-कभी अमरूद के लिए प्रयोग किया जाता है। दो तीन से लेकर बीस मिनट तक बीज अम्ल में भिगो दिया जाता है। स्वीट पी के बीज को, जो शीघ्र नहीं जमता, अर्धसांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल में 30 मिनट तक रख सकते हैं। यह उपचार बीज के ऊपर के कठोर छिलके को नरम करने के लिए या फटने में सयहायता पहुँचाने के लिए किया जाता हे। परंतु प्रत्येक दशा में उपचार के बाद बीज को पानी से भली भॉति धो डालना आवश्यक है। जिन बीजों के छिलके इतने कठोर होते हैं कि साधारण रीतियों का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता उनके लिए यांत्रिक सहायता लेनी चाहिए। बहुधा रेतने, मुतरने या छेद करने का भी प्रयोग (जैसे बैजंतीउकैना में) किया जाता है। बोए जाने पर बीज संतोषप्रद रीति से उगें, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह जानना आवश्यक है कि किस बीज को किस समय बोना चाहिए। कुछ बीजों के उगने में बहुत समय की आवश्यकता होती है या वे विशेष ऋतु में उगते हैं और इससे पहले कि वे उगना प्रारंभ करें, लोग बहुधा उन्हें निकम्मा समझ बैठते हैं। इससे बचने के लिए ही बात नहीं, अपितु थोड़ा-थोड़ा करके किस्तों में बीज बोना चाहिए।
 
==== अलैंगिक या वानस्पतिक प्रजनन ====