"अमेठी": अवतरणों में अंतर
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'''अमेठी''' (Amethi) [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य
== विवरण ==
अमेठी
== ज़िला ==
अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे बीएसपी सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था मूल रूप से अमेठी की स्थापना 1 जुलाई 2010 को हुई लेकिन अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है। अमेठी को सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है।|<ref>"[https://books.google.com/books?id=qzUqk7TWF4wC Uttar Pradesh in Statistics]," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170423083533/https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC|date=23 अप्रैल 2017}}," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975</ref>
== स्थल ==
* महर्षि पिप्पलाद आश्रम : पीपरपुर ग्राम सभा में मनोरमा नदी के पूर्वी तट पर महर्षि पिप्पलाद का पावन पौराणिक आश्रम स्थित है। यहाँ शाखा शारदा नहर से निकले चिलबिला रजबहा मार्ग द्वारा फतुहवा नामक गाँव से होते हुए पहुँचा जा सकता है। आश्रम में महर्षि की मूर्ति एवम् प्राण प्रतिष्ठित शिव लिंग स्थापित है।
* माँ अहोरवा भवानी देवी धाम सिंघपुर ब्लाक ,माँ हिंगलज देवी धाम दादरा मुसाफिरखाना ब्लॉक,माँ दुर्गनभवानी देवी धाम सैठा रोड गौरीगंज ब्लाक,अमेठी जिले में स्थित प्रमुख तीर्थस्थल है, माँ कालिकन देवी धाम अमेठी जिले में स्थित एक तीर्थस्थल है, जो च्यवन मुनि की तपस्थली के रूप में ख्यात है।
* कादूनाला- मुसाफिर खाना तहसील मे स्थित एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ पर १८५७ई० मे "भालेसुल्तान क्षत्रियों" द्वारा अंग्रेजो के साथ लड़ाई हुई,जिसमे सैकड़ो क्षत्रियों ने अपने प्राणों कि आहुति दी! जिसके याद मे मुसाफिर खाना तहसील से ५ किमी० पश्चिम मे कादुनाला पुल के आगे थौरी मार्ग पर एक विशाल शहीद स्मारक का निर्माण हुआ,और प्रत्येक वर्ष कार्तिक एकादशी के दिन यहाँ मेला का आयोजन होता है!
== इतिहास ==
अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है।
=== घटनाएँ ==
* राजा सोढ़ देव ने तुर्कों के आक्रमण के दौरान 966 ई. में इस रियासत की स्थापना की थी। तब से अब तक अमेठी रियासत ने कई झंझावातों को झेला लेकिन उसका मान-सम्मान और गरिमा बनी रही। रियासत के हर नरेश ने इसका ख्याल रखा। राजा सोढ़ देव ने 966 ई. से 1007 ई. तक रियासत पर शासन किया। तुर्कों के बाद मुगल शासकों ने भी इस रियासत पर हमले किए।
* अंग्रेजों ने अमेठी रियासत के विलय का भी प्रयास किया, जिसमें वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद रानी पति के मृत शरीर को गोद में लेकर सती हो गईं। मान्यता के अनुसार आज भी क्षेत्र की महिलाएं प्रत्येक गुरुवार को सती महारानी मंदिर पर दुरदुरिया का आयोजन कर सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं।
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* संजय गांधी के अमेठी में सक्रिय होने के साथ ही देश में आपातकाल घोषित हो चुका था। इसके बाद 1977 में संपन्न हुये लोकसभा चुनावों में संजय गांधी और इंदिरा गांधी की बुरी तरह पराजय हुई थी। इसके साथ ही उत्तर भारत में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित हुई। यूपी, एवं बिहार में खाता ही नहीं खुला।
* 1977 में अमेठी के ही निवासी रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराकर संसद में प्रवेश किया।
* 1980 में संपन्न मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की वापसी हुई। इन्दिरा रायबरेली से पुन: निर्वाचित हुई जबकि संजय गांधी अमेठी के सांसद बने, लेकिन एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत हो गई।
गांधी परिवार ने कुछ समय बाद इस सदमें से उबरते हुए अमेठी के सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार संजय सिंह सहित विभिन्न नेताओं के प्रयास एवं अनुरोध के फलस्वरुप राजीव गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा और वह 1981 में अमेठी से सांसद बने तथा अपने जीवन के अंतिम समय (20 मई 1991) तक संसद में अमेठी की रहनुमाई करते रहे। इसी दौरान संजय गांधी की पत्नी [[मेनका गांधी|मेंनका गांधी]] पारिवारिक विवाद के कारण इंदिरा गांधी से अलग हो गईं। इसके बाद 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी जटिल परिस्थितियों में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा था। 31 अक्टूबर 1984 को [[इन्दिरा गांधी|इंदिरा गांधी]] की हत्या के कुछ ही महीनों के बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर का बेहद प्रभाव रहा तथा कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और राजीव गांधी देश के पुन: प्रधानमंत्री बने। विशेष रूप से युवाओं में राजीव 'मिस्टर क्लीन' के रूप में मशहूर हुए।
गांधी परिवार के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा झटका था, क्योंकि अकेली [[सोनिया गांधी|सोनिया]] के साथ उनके छोटे बच्चे राहुल और प्रियंका भी थे। कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। वहीं राजीव गांधी की अमेठी की विरासत को उनके परिवार के बेहद करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला। गांधी परिवार से करीबी का सतीश शर्मा को फायदा भी मिला और वह दो बार लगातार न सिर्फ सांसद बने बल्कि केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री का भी कार्यभार उन्हें सौंपा गया। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई। वर्ष 2008 से यहां कक्षाएं संचालित हो रही हैं।▼
▲देश फिर एक और चुनाव की ओर बढ़ ही रहा था कि इसी दौरान 1991 में चुनाव अभियान के दौरान ही [[राजीव गांधी]] की नृशंस हत्या कर दी गई। गांधी परिवार के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा झटका था, क्योंकि अकेली [[सोनिया गांधी|सोनिया]] के साथ उनके छोटे बच्चे राहुल और प्रियंका भी थे। कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। वहीं राजीव गांधी की अमेठी की विरासत को उनके परिवार के बेहद करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला। गांधी परिवार से करीबी का सतीश शर्मा को फायदा भी मिला और वह दो बार लगातार न सिर्फ सांसद बने बल्कि केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री का भी कार्यभार उन्हें सौंपा गया। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई। वर्ष 2008 से यहां कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
* 1998 के लोक सभा चुनाव में अमेठी रियासत के राजकुमार '''डॉ. संजय सिंह(अमेठी सियासत के राजा )''' ने भाजपा का दामन थामकर कैप्टन सतीश शर्मा के विजय रथ को रोक लिया। संयोगवश शीघ्र ही संसदीय चुनाव घोषित हुए और इस बार सोनिया गांधी ने अपने पति की पूर्व संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस बीच रायबरेली की विशिष्ट सीट भी उनके 'अपनों' के ही कब्जे में रही। गांधी परिवार ने इसके बाद सियासत को खुलकर अपनाया और बाद में सोनिया गांधी ने जहां अपनी सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रही रायबरेली को अपनाया वहीं उनके बेटे राहुल गांधी ने पिता की सियासत का गढ़ रहे अमेठी का नेतृत्व किया।▼
▲* 1998 के लोक सभा चुनाव में अमेठी रियासत के राजकुमार
* [[राहुल गांधी]] 2004 के आम चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बने ,२०१४ के चुनावों में भी अमेठी की जनता ने [[राहुल गांधी|राहुल गाँधी]] को चुना, जिनके प्रतिद्वंद में [[स्मृति ईरानी]] और [[कुमार विश्वास]] थे |
*[[समृति ईरानी]] 2019 के आम चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बनी, 2019 में [[राहुल गांधी]] को हराकर यह जीत हासिल की ।
== परिवहन ==
अमेठी [[भारतीय रेल]] और सड़कों के माध्यम से
== इन्हें भी देखें ==
* [[अमेठी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र]]
* [[अमेठी ज़िला]]
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{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर]]▼
[[श्रेणी:अमेठी ज़िला]]
▲[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर]]
[[श्रेणी:अमेठी ज़िले के नगर]]
[[श्रेणी:अमेठी|*]]
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