"व्यवहार प्रक्रिया": अवतरणों में अंतर

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==सहज क्रियाएँ==
मुख की मुद्रा, देह की अंगभंग तथा कमेंद्रियों के हिलने चलने के व्यवहार से अगोचर मानसिक क्रियाएँ विचार, रागद्वेष आदि भी दूसरे लोगों पर व्यक्त होते हैं। शारीरिक व्यवहार का सरलतम रूप "[[सहज क्रिया]]" (रिफ्लेक्स ऐक्शन) में मिलता है। यदि आँख पर [[प्रकाश]]पुंज फेंकी जाए, तो पुतली तत्काल सिकुड़ने लगती है। यह एक जन्मसिद्धजन्मजात, प्राकृतिक अनायास क्रिया है। इस क्रिया का न तो कोई पूर्वगामी अथवा सहचारी चेतन अनुभव होता है, और न ही यह व्यक्ति की इच्छा के बस में रहती है। इसी प्रकार [[मिर्च]] के स्पर्शमात्र से आँखों में [[अश्रु]] आ जाते हैं। यह भी एक जन्मसिद्धजन्मजात या सहज क्रिया है। सांस लेना, खांसना आदि कुछ जटिल सहज क्रियाएं हैं। इनको मनुष्य इच्छानुसार न्यूनाधिक प्रभावित कर सकता है। मल-मूत्र त्याग भी सहज क्रियाएँ हैं जिनपर मनुष्य विशेष नियंत्रण रखना सीख लेता है। सूई चुभते ही हम हठात् हाथ खींच लेते हैं। इन सबका मूलाधार है, ज्ञानेंद्रियों का नस द्वारा कर्मेंद्रियों (पेशी, ग्रंथि आदि) के साथ सीधा प्राकृतिक संबंध। सूई के दबाव से पीड़ास्थल से संलग्न नसें सक्रिय हो उठती हैं, और नसों द्वारा तत्संबंधित पेशीसंकोच होता है।
 
==अभ्यानुकूलित प्रतिवर्त (कंडीशंड रिफ्लेक्स)==