"घिरनी": अवतरणों में अंतर

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भिन्न भिन्न प्रकार की घिरनियों का विवरण नीचे दिया जा रहा है:
 
==पद घिरनी==
1. पद घिरनी - यह घिरनी अलग अलग व्यास की दो या उससे ज्यादा घिरनियों को मिलाकर बनाई जाती है। पद घिरनी को एक ही भाग में ढाला जाता है। इनका उपयोग उसी स्थान पर होता है जहाँ चलाने और चलनेवाली दोनों घिरनियाँ हों और चलनेवाली मशीन की गति को बदलने की भी आवश्यकता हो। इन घिरनियों को इस प्रकार लगाया जाता है कि एक घिरनी की छोटी घिरनी दूसरे की बड़ी घिरनी के सामने हो। इससे पट्टे को एक पद से दूसरे पद पर बदलने से पट्टे की लंबाई में कोई अंतर नहीं आता, इसलिये पट्टे को घिरनी पर चढ़ाने से पहले उसकी लंबाई दोनों घिरनियों के व्यासों का लेकर निकाल ली जाती है। घिरनी पर जो पट्टा चढ़ाया जाता है, उससे चलनेवाली मशीन की दिशा भी बदली जाती है। इससे लिये यदि पट्टे के दोनों बाजू समांतर हैं, तो चलनेवाली घिरनी के घूमने की दिशा वही होगी जो चलानेवाली घिरनी की है। अगर इस दिशा को बदलना है, तो पट्टे के बाजुओं को एक दूसरे पर चढ़ाकर घिरनी पर चढ़ाया जाता है।
 
==सवार घिरनी==
2. सवार घिरनी - यह घिरनी प्राय: छोटे आकार की होती है और पट्टे का तनाव ठीक बनाए रखने के काम आती है। इसकी धुरी पर एक स्कंद लगाकर पट्टे पर छोड़ दिया जाता है और स्कंद के बल के कारण यह घिरनी पट्टे का दबाए रखती है। चलते चलते यदि पट्टे का तनाव कम हो जाए, तो स्कंद के दबाव के कारण सवार घिरनी पट्टे पर और दब जाती है, जिससे तनाव में कमी नहीं हो पाती। इसलिये सवार घिरनी लगभग हर पट्टे पर लगाई जाती है।
 
==कसी हुई और ढीली घिरनी ==
3. कसी हुई और ढीली घिरनी - ये दोनों घिरनियाँ पास पास चलानेवाली धुरियाँ पर लगाई जाती हैं और इन दोनों का व्यास बराबर होता है। इनमें पहली घिरनी धुरी पर कसी हुई होती है और मशीनों के चलाने के काम आती है। दूसरी ढीली घिरनी न तो धुरी के घूमने से घूमती है और न इसके घूमने से धुरी घूमती है। ढीली घिरनी लगाने का मतलब केवल यह होता है कि जब चलनेवाली घिरनी से पट्टे को ढीली घिरनी पर लाया जाता है तो धुरी तो घूमती रहती है, मगर कसी हुई चलनेवाली मशीन रुक जाती है। इसलिये जो मशीन इस धुरी से चलाई जा रही हो, वह बिना धुरी के रोके हुए रोकी जा सकती है। जब इस मशीन को फिर चलाना हो तो पट्टे को स्थिर घिरनी पर ले आया जाता है।
 
==V - आकार की घिरनी==
4. V - आकार की घिरनी - इन घिरनियों का आकार '''V''' की शक्ल का होता है और ये वहाँ काम आती हैं जहाँ रस्सों को शक्ति ले जाने के काम में लाया जाता है। कुछ स्थानों पर शक्ति इतनी ज्यादा होती है कि उसे चमड़े के पट्टों से नहीं ले जाया जा सकता। इसलिये कई कई रस्सों को मिलाकर इस प्रकार की घिरनियों पर चढ़ा दिया जाता है। ये रस्से सूत के भी होते हैं और लोहे के तारों के भी। दूसरा लाभ इन रस्सों से यह होता है कि चलते समय ये घिरनियों पर उतना नही फिसलते जितना चमड़े का पट्टा फिसलता है। इससे शक्ति की हानि नहीं होती।
 
== मार्ग घिरनी ==
5. मार्ग घिरनी - यदि चलने और चलानेवाली धुरियाँ समांतर नहीं है, तो पट्टा घिरनियों पर से फिसल जाएगा। इसको रोकने के लिये मार्ग घिरनी का उपयोग होता है। इस घिरनी को इस प्रकार लगाया जाता है कि चलानेवाली घिरनी और मार्ग घिरनी की धुरियाँ एक समतल में हों और मार्ग घिरनी तथा चलनेवाली घिरनी की धुरी एक समतल में हो। इससे घिरनियों पर चढ़ा हुआ पट्टा नहीं उतरेगा।
 
{{सरल मशीनें}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/घिरनी" से प्राप्त