"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर

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शंख, चक्रमथारविन्दुयुगलं हस्तैर्वहन्तीं भजे॥
 
 
==गायत्री महामन्त्र==
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: ''धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
 
;हिन्दी में भावार्थ :
 
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
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[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:मंत्र]]
[[श्रेणी:T500 2022]]