"कादम्बरी": अवतरणों में अंतर

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'''कादम्बरी''' [[संस्कृत]] साहित्य का महान उपन्यास है। इसके रचनाकार [[वाणभट्ट]] हें।
'''कादम्बरी''' [[संस्कृत]] साहित्य की महान कृति है। कादम्बरी के रचनाकार [[वाणभट्ट]] हें। इसमें एक काल्पनिक कथा है जिसमें चन्द्रापीड तथा पुण्डरीक के तीन जन्मों का उल्लेख है। कथानुसार विदिशा नरेश शूद्रक के दरबार में अतीव सुन्दरी चाण्डाल कन्या वैशम्पायन नामक तोते को लेकर आती है। यह तोता मनुष्य की बोली बोलता है। राजा के प्रश्नोत्तर में तोता बताता है कि उसकी माता मर चुकी है और उसके पिता को आखेटक ने पकड़ लिया तथा उसे जाबालि मुनि के शिष्य पकड़ कर आश्रम में ले गये। इसी के बीच ऋषि जाबालि द्वारा राजा चन्द्रापीड तथा उसके मित्र वैशम्पायन की कथा है। चन्द्रापीड तथा वैशम्पायन दिग्विजय के लिये जाते हैं। किन्नर युगल का पीछा करते हुए राजा आच्छोद नामक सरोवर के पास पहुँचता है।
 
==कथावस्तु==
'''कादम्बरी''' [[संस्कृत]] साहित्य की महान कृति है। कादम्बरी के रचनाकार [[वाणभट्ट]] हें। इसमें एक काल्पनिक कथा है जिसमें चन्द्रापीड तथा पुण्डरीक के तीन जन्मों का उल्लेख है। कथानुसार विदिशा नरेश शूद्रक के दरबार में अतीव सुन्दरी चाण्डाल कन्या वैशम्पायन नामक तोते को लेकर आती है। यह तोता मनुष्य की बोली बोलता है। राजा के प्रश्नोत्तर में तोता बताता है कि उसकी माता मर चुकी है और उसके पिता को आखेटक ने पकड़ लिया तथा उसे जाबालि मुनि के शिष्य पकड़ कर आश्रम में ले गये। इसी के बीच ऋषि जाबालि द्वारा राजा चन्द्रापीड तथा उसके मित्र वैशम्पायन की कथा है। चन्द्रापीड तथा वैशम्पायन दिग्विजय के लिये जाते हैं। किन्नर युगल का पीछा करते हुए राजा आच्छोद नामक सरोवर के पास पहुँचता है।
 
==बाहरी कड़ियाँ==