"अभिनवगुप्त": अवतरणों में अंतर
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==वैशिष्ट्य==
अभिनवगुप्त का व्यक्तित्व बड़ा ही रहस्यमय है। [[महाभाष्य]] के रचयिता [[पतंजलि]] को व्याकरण के इतिहास में तथा [[भामती]]कार [[वाचस्पति मिश्र]] को [[अद्वैत वेदांत]] के इतिहास में जो गौरव तथा आदरणीय उत्कर्ष प्राप्त हुआ है वही गौरव अभिनव को भी [[तंत्र]] तथा [[अलंकारशास्त्र]] के इतिहास में प्राप्त है। इन्होंने [[रस]] सिद्धांत की मनोवैज्ञानिक व्याख्या (अभिव्यंजनावाद) कर अलंकारशास्त्र को दर्शन के उच्च स्तर पर प्रतिष्ठित किया तथा प्रत्यभिज्ञा और त्रिक दर्शनों को प्रौढ़ भाष्य प्रदान कर इन्हें तर्क की कसौटी पर व्यवस्थित किया। ये कोरे शुष्क तार्किक ही नहीं थे, प्रत्युत साधनाजगत् के गुह्य रहस्यों के मर्मज्ञ साधक भी थे।
==बाहरी कड़ियाँ==
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