"कलिल": अवतरणों में अंतर
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आहार विज्ञान में कलिलीय पदार्थों पर विचार करना पड़ता है। हयूमस और चिकनी मिट्टी के कलिलीय गुण भूमि की उर्वरता और उसके भौतिक गुणों पर विशेष प्रभाव डालते हैं। रेशे कार्बनिक कलिल हैं और कपड़ा उद्योग भी कलिलीय उद्योग ही है। छींट के निर्माण में प्रयुक्त होनेवाले रंग और छपाई कलिलीय गुणों के कारण ही संपन्न होती है। कुछ अभिकारकों में सेल्युलोसीय पदार्थ के कलिलीय गुणों पर कृत्रिम रेशम का निर्माण आधारित है। साबुन और अपक्षालक कलिलीय पदार्थ हैं और अनेक वस्तु-समूह, यथा चिकानेवाले पदार्थ, प्लास्टिक, रबर, स्नेहक पदार्थ, तैल रंग इत्यादि में कलिलीय गुण पाए जाते हैं। काँच, मृत्तिका तथा सीमेंट उद्योग कलिलीय विज्ञान से विशेष रूप से संबद्ध हैं। हमारे अधिकांश आहार, जैसे प्रोटीनें, स्टार्च के रूप में कार्बोहाइड्रेट वसा आदि भी गुण में कलिलीय हैं। कलिल रसायन की तकनीक हमारे अनेक भोज्य पदार्थ बनाने में आवश्यक होती है जैसे पावरोटी, मक्खन, जेली, जाम, पेय, आइसक्रीम आदि।
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