"सैक्स्टैंट": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: 300px|right|thumb|सेक्स्टैंट '''सेक्सटैंट''' (Sextant) सबसे सरल और सुगठ... |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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यह धातु का ६०° का वृत्तखंड होता है जिसका चाप अंकित होता है। वक्र के केंद्र से एक भुजा चाप पर फैली होती है। इस भुजा के सिरे पर बर्नियर (क्लैंप) और एक स्पर्शी पेंच लगे रहते हैं। इसी भुजा पर ऊपर निर्देश दर्पण लगा रहता है। केंद्र पर भुजा घूम सकती है और उसके साथ निर्देश दर्पण और अंकित चाप पर बर्नियर भी। चाप को थामे एक अर्धव्यास पर निर्देश दर्पण के सामने आधा पारदर्शी और आधा परावर्तक क्षितिज काँच दृढ़ता से लगा होता है जिससे होकर देखने के लिए सामने दूरबीन होती है। स्पष्ट है कि इसकी बनावट बाक्स सेक्सटैंट के समान ही है और प्रेक्षण का ढंग भी। सूर्य के प्रेक्षण के लिए रंगीन काँच रहता है। ६०° के चाप पर अंश और उसके छोटे विभाजन यंत्र के आकार के अनुसार २०¢ या १०¢ तक बने होते हैं। बर्नियर से २०² या १०² तक पढ़ने की सुविधा रहती है।
==सावधानियाँ==
सेक्सटैंट से
(१) सूचकांक और क्षितिज काँच चाप के समतल पर लंब हों,
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(३) दृष्टिरेखा चाप के समतल के समांतर हो।
==बाहरी कड़ियाँ==
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