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'''गणितयीय संकेतन''' (Mathematical Notations) वे चिन्ह अथवा संकेत हैं जो किसी गणितीय क्रिया अथवा संबंध को व्यक्त करने में, किसी गणितयी राशि की प्रकृति अथवा गुण को दर्शाने में, अथवागणित में प्राय: प्रयुक्त होनेवाले वाक्यांश, विशिष्ट संख्या या गणितीय राशि को निर्दिष्ट करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। इस प्रकार ''' +''' में भागधन का चिन्ह निर्दिष्ट करता है कि अ में ब काजोड़ना भागहै; देना है, '''अ < ''' में असमता का चिन्ह (<) अ का ब से छोटा होने का संबंध दर्शाता है,; फ (य) में, संकेत यह सूचित करता है कि [[फलन]] फ (य) एकरूप वर्धमान फलन (Monotonic increasing function) है। इसी प्रकार चिन्ह वाक्यांश का एक सदस्य है के लिये प्रयोग किया जाता है और चिन्ह के लिये है तथा कोण के लिए हैं।
 
गणितीय संकेतन की सहायता से गणित के तर्क संक्षिप्त रूप से लिखे जा सकते हैं और इस प्रकार यह गणितीय चिंतन में सहायक है। पाठक सूक्ष्म और तर्कसंगत भाषा की सहायता से जटिल संबंधों को सरलता से समझ सकता है। मध्ययुगीन शताब्दियों में संकेतन के यथेष्ट विकास के अभाव में गणित की प्रगति अवरु द्ध हो गई थी। १६ वीं शताब्दी के अंत में प्रारंभिक बीजगणित का शुद्ध सांकेतिक रूप में विकास होने के पश्चात ही १७वीं शताब्दी में गणित की कुछ विशिष्ट शाखाओं की उन्नति हो सकी।