वृन्दावनदास ठाकुर
वृन्दावनदास ठाकुर (1507-1589 ई) बंगला भाषा में चैतन्य भागवत नामक ग्रंथ के रचयिता हैं। यह ग्रन्थ चैतन्य महाप्रभु का जीवनचरित है। यह बंगला भाषा का आदि काव्य ग्रंथ माना जाता है।
इनके पिता कुमारहद निवासी बैकुंठनाथ ठाकुर थे। नवद्वीप में सं. १५८२ में इनका जन्म हुआ। कुछ दिन के बाद माता के साथ यह कुमारहद लौट गए, जहाँ इनकी माता का भी शरीरांत हो गया। इन्होंने 'चैतन्य मंगल' ग्रंथ लिखा है, जो बाद में चैतन्य भागवत नाम से प्रसिद्ध हुआ। कृष्णदास कविराज ने अपने ग्रंथ चैतन्यचरितामृत में इसकी बड़ी प्रशंसा की है और कवि कर्णपूर ने इन्हें वेद व्यास का अवतार कहा है। अंतिम अवस्था में ये वृंदावन गए।
इनकी अन्य रचनाएँ हैं श्रीनित्यानंद चरितामृत, आनंदलहरी, तत्वसार, तत्वविलास, भक्तिचिंतामणि आदि।
यह लेख किसी लेखक, कवि अथवा नाटककार के बारे में एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |