वेताल भट्ट प्राचीन भारत के संस्कृत विद्वान एवं सहित्यकार थे। उन्हें सोलह श्लोकों से युक्त "नीति-प्रदीप" का रचयिता माना जाता है।[1][2]वे विक्रमादित्य के नवरत्नों (नौ विद्वानों के समूह) में से एक थे। कुछ इतिहासकारों ने उन्हेंचंद्र गुप्त के दरबार के जादूगर के रूप में भी उल्लेख किया है ('बेतालभट्ट' का शाब्दिक अर्थ "भूत-प्रेत का पंडित" है। विक्रम और वेताल की कहानियों के रूप में उनके बारे में कई किंवदंतियां भी बताई गई हैं।

  1. बेतालभट्ट (महाराजा विक्रमादित्‍य शोधपीठ)
  2. "Sanskrit Works and Authors". मूल से 2016-03-05 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-02-11.

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