शूद्र
वर्ण
शूद्र भारत में हिन्दू वर्ण व्यवस्था के चार वर्णों में से एक है। शूद्र वर्ण की सनातन धर्म में विभिन्न कालखण्दों में क्या स्थिति थी, इस पर बहुत मतभेद है।
बी आर अम्बेडकर[1][2] द्वारा लिखित पुस्तक हु वज़ द शूद्रस? में ऋग्वेद, महाभारत और अन्य प्राचीन वैदिक धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए वे कहते हैं कि शूद्र मूल रूप से आर्य थे।[3][4] अंबेडकर आर्यन जाति के सिद्धांत पर भी चर्चा करते हैं और अपनी पुस्तक में इंडो-आर्यन प्रवासन सिद्धांत को खारिज करते हैं।[5][6]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- शूद्रों का प्राचीन इतिहास (गूगल पुस्तक ; लेखक - रामशरण शर्मा)
- वास्तविक ब्राह्मण और शूद्र कौन है?
- इस्लाम एवं ब्रिटिशकाल की पैदाइश जन्मना जातिप्रथा[मृत कड़ियाँ]
- वेद और शूद्र-2
- मनु के मत में शूद्र अछूत नहीं
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Dr. B.R. Ambedkar (1949). Who were the Shudras?. Bombay: Thackers.
- ↑ Karmarkar, A.P. (1946), "Review: Who were the Shudras? by Bhimrao Ramji Ambedkar", Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institute, 30 (1–2): 158–160, JSTOR 41784527
- ↑ http://www.ambedkar.org/ambcd/38A.%20Who%20were%20the%20Shudras%20Preface.htm#PRE
- ↑ http://www.ambedkar.org/ambcd/38C2.%20Who%20were%20the%20Shudras%20PART%20II.htm#a11
- ↑ Bryant, Edwin (2001). The Quest for the Origins of Vedic Culture, Oxford: Oxford University Press. pp. 50–51. ISBN 9780195169478
- ↑ http://www.ambedkar.org/ambcd/38B2.%20Who%20were%20the%20Shudras%20PART%20I.htm#a04