श्रीकृष्ण सरल (०१ जनवरी १९१९ ई० - ०२सितम्बर २०००) एक भारतीय कवि [1] एवं लेखक थे। भारतीय क्रांतिकारियों पर उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं जिनमें पन्द्रह महाकाव्य हैं। सरल जी ने अपना सम्पूर्ण लेखन भारतीय क्रांतिकारियों पर ही किया है। उन्होने लेखन में कई विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सर्वाधिक क्रांति-लेखन और सर्वाधिक महाकाव्य (पन्द्रह) लिखने का श्रेय सरलजी को ही जाता है। उनके द्वारा भारतीय सैनिकों की बलिदानी परमपराओं का स्मरण कराते राष्ट्रवादी काव्य के लिए उन्हें 'युग-चारण' भी कहा जाता है।[2] उनके द्वारा रचित "मैं अमर शहीदों का चारण" हिंदी भाषा की एक लोकप्रिय कविता है।[3]

मध्य प्रदेश की साहित्य अकादमी द्वारा श्रीकृष्ण सरल के नाम पर कविता के लिए "श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार"[4] प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है।[5]

श्रीकृष्ण सरल जन्म ०१ जनवरी १९१९ ई० को मध्य प्रदेश के गुना जिले के अशोक नगर में हुआ। इनके पिता का नाम श्री भगवती प्रसाद तथा माता का नाम यमुना देवी था। सरल जी शासकीय शिक्षा महा विद्यालय, उज्जैन में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे।[6] वे स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे तथा अध्यापक के पद से निवृत्त होकर आजीवन साहित्य-साधना में रत रहे। उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा ‘भारत गौरव’, ‘राष्ट्र कवि’, ‘क्रांति-कवि’, ‘क्रांति-रत्न’, ‘अभिनव-भूषण’, ‘मानव-रत्न’, ‘श्रेष्ठ कला-आचार्य’ आदि अलंकरणों से विभूषित किया गया।

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन से प्रेरित, शहीद भगतसिंह की माता श्रीमती विद्यावती जी के सानिध्य एवं विलक्षण क्रांतिकारियों के समीपी प्रो॰ सरल ने प्राणदानी पीढ़ियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपने साहित्य का विषय बनाया। वे स्वयं को 'शहीदों का चारण' कहते थे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार पं॰ बनारसीदास चतुर्वेदी ने कहा- 'भारतीय शहीदों का समुचित श्राद्ध श्री सरल ने किया है।' महान क्रान्तिकारी पं॰ परमानन्द का कथन है— 'सरल जीवित शहीद हैं।'

जीवन के उत्तरार्ध में सरल जी आध्यात्मिक चिन्तन से प्रभावित होकर तीन महाकाव्य लिखे— तुलसी मानस, सरल रामायण एवं सीतायन। प्रो॰ सरल ने व्यक्तिगत प्रयत्नों से 15 महाकाव्यों सहित 124 ग्रन्थ लिखे उनका प्रकाशन कराया और स्वयं अपनी पुस्तकों की ५ लाख प्रतियाँ बेच लीं। क्रान्ति कथाओं का शोधपूर्ण लेखन करने के सन्दर्भ में स्वयं के खर्च पर १० देशों की यात्रा की। पुस्तकों के लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने में सरल जी की अचल सम्पत्ति से लेकर पत्नी के आभूषण तक बिक गए। पाँच बार सरल जी को हृदयाघात हुआ पर उनकी कलम जीवन की अन्तिम साँस तक नहीं रुकी।

सरल जी का निधन ०२ सितम्बर २०००ई० को हुआ।

सरल जी ने एक सौ चौबीस ग्रंथों का प्रणयन किया। नेताजी सुभाष पर तथ्यों के संकलन के लिए वे स्वयं खर्च वहन कर उन बारह देशों का भ्रमण करने गए जहाँ-जहाँ नेताजी और उनकी फौज ने आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी थीं।

इन्होने क्रान्तिकारी कोश नामक एक किताब लिखी जिसमें भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास को पूरी प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया। यह पाँच अलग-अलग भागों में प्रकाशित की गई है।[7]

  • क्रांतिकारी कोश १
  • क्रांतिकारी कोश २
  • क्रांतिकारी कोश ३
  • क्रांतिकारी कोश ४
  • क्रांतिकारी कोश ५
  • महावली[8]
  • इतिहास-पुरूष सुभाष[9]
  • जय हिंद[10]

उपन्यास :- चटगाँव का सूर्य, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, जय हिंद, दूसरा हिमालय, यतीन्द्रनाथ दास, बाधा जतीन, रामप्रसाद बिस्मिल।

निबन्ध-संग्रह :- अनमोल वचन, जियो तो ऐसे जियो, युवकों से दो-दो बातें, विचार और विचारक, जीवन-रहस्य, मेरी सृजन-यात्रा।

महाकाव्य :- चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगतसिंह, सुभाषचन्द्र, बागी करतार, शहीद अश्फाक उल्ला खाँ, कान्ति ज्वालकामा, अम्बेडकर दर्शन, स्वराज्य तिलक, विवेक श्री, जय सुभाष।

काव्य-संग्रह :- किरण कुसुम, काव्य गीता, राष्ट्र-वीणा, सरल दोहावली, क्रांति गंगा, सरल महाकाव्य ग्रंथावली, जयहिन्द गज़लें, सरल मुक्तक, इन्कलाबी गज़लें, कौमी गज़लें, बागी गज़लें, शहीदी गज़लें, जीवन्त आहुति, श्रृंगार गीत, शहीदों की काव्य कथाएँ, राष्ट्र की चिन्ता, काव्य कथानक, विवेकांजलि, राष्ट्र भारती, रक्त गंगा, काव्य मुक्ता, मौत के आँसू, भारत का खून उबलता है, महारानी अहिल्याबाई, अद्भुत कवि सम्मेलन, वतन हमारा, हेड मास्टरजी का पायजामा, मुझको यह धरती प्यारी है, काव्य कुसुम, स्नेह सौरभ, बच्चों की फुलवारी, स्मृति-पूजा, बापू-स्मृति-ग्रंथ, कवि और सैनिक, मुक्ति-गान।

संस्मरण :- क्रान्तिकारियों की गर्जना

अन्य :- संस्कृति के आलोक स्तम्भ, संसार की प्राचीन सभ्यताएँ, हिन्दी ज्ञान प्रभाकर, देश के दीवाने, शिक्षाविद् सुभाष, संसार की महान आत्माएँ, क्रान्तिकारी शहीदों की संस्मृतियाँ, सुभाष की राजनैतिक भविष्यवाणियाँ, नेताजी सुभाष दर्शन, नेताजी के सपनों का भारत, कुलपति सुभाष, देश के प्रहरी, सेनाध्यक्ष सुभाष, क्रान्तिवीर, देश के दुलारे, आजीवन क्रान्तिकारी, शहीदों की कहानियाँ, राष्ट्रपति सुभाषचन्द्र बोस, बलिदान गाथाएँ, शहीद-चित्रावली, क्रान्ति-कथाएँ, सुभाष या गांधी, क्रान्ति इतिहास की समीक्षा, रानी चेनम्मा, नेताजी सुभाष जर्मनी में, क्रान्तिकारी आन्दोलन के मनोरंजक प्रसंग, नर-नाहर नरगुन्दकर, अल्लूरी सीताराम राजू, रासबिहारी बोस, डॉ० चम्पकरमन पिल्लई, चिदम्बरम् पिल्ले, पद्मनाम आयंगार, वासुदेव बलवन्त फड़के, बाबा पृथ्वीसिंह आजाद, करतारसिंह सराबा, क्रान्तिकारिणी दुर्गा भाभी, सुब्रमण्यम शिव, वांची अय्यर।

  1. "राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल जयंती पर हुआ कार्यक्रम". दैनिक भास्कर. मूल से 12 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2015.
  2. Sākshātkāra. Ma. Pra. Śāsana Sāhitya Parishad. 2009. विमर्श का विषय रखा गया था ' युग चारण श्रीकृष्ण सरल ' जिसकी अध्यक्षता श्री बलवीर सिंह ' करुण ' ने की ।
  3. सरल, श्रीकृष्ण (2005). महावली: आधुनिक संदर्भ में पवन-पुत्र पर प्रेरक महाकाव्य. सत्काल. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-87859-50-5.
  4. "मध्य-प्रदेश साहित्य अकादमी". मूल से 2 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2015.
  5. "नई दुनया". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2015.
  6. सरल महाकाव्य ग्रंथावली, बलिदान भारती, २७ दशहरा मैदान, उज्जैन, म०प्र०, प्रथम संस्करण १९९२ ई०, पृष्ठ १७
  7. "क्रांतिकारी कोश ५". एमेजोन. मूल से 6 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2015.
  8. महावली: आधुनिक संदर्भ में पवन-पुत्र पर प्रेरक महाकाव्य. सत्काल. 2005. पृ॰ 320. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2015.
  9. इतिहास-पुरूष सुभाष. नई दिल्ली प्रतिभा प्रतिष्ठान 2006. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2015.
  10. जय हिंद. दिल्ली सत्साहित्य प्रकाशन 2006. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2015.

बाहरी कड़ियाँ

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