श्रीराम शर्मा (पत्रकार)
श्रीराम शर्मा (1 अक्टूबर, 1899 - )भारत के स्वतंत्रता सेनानी, इतिहासकार एवं पत्रकार थे। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण वे अनेक बार जेल गए। वे लगभग १० वर्ष तक विभिन्न जेलों में बंद रहे।
श्रीराम शर्मा का जन्म ०१ अक्टूबर १८९९ को पुराने रोहतक जिले के झज्जर में पंडित बिशंबर दयाल शर्मा के घर हुआ था। झज्जर में ही उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी।
काग्रेस द्वारा भारत की स्वाधीनता प्राप्ति के लिए चलाए जा रहे आन्दोलन का उन पर व्यापक असर पड़ा और 1921 में महात्मा गांधी के आह्वान पर शुरू किए गए असहयोग आन्दोलन में कूदे। उस समय वे बीए अंतिम वर्ष के छात्र थे। इस कारण उनकी शिक्षा बीच में ही रह गई। देश को आजाद करने के लिए काग्रेस की विचारधारा को जनमानस तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अखबार को एक सशक्त माध्यम मानते हुए 18 मार्च, 1923 को उर्दू में 'हरियाणा तिलक' नामक साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया। असहयोग आदोलन के दौरान 1922 में झज्जर के टाऊन हाल में ध्वज फहराने व लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का चित्र लगाने पर उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था।
पंडित श्रीराम शर्मा 1937 से 1962 तक संयुक्त पंजाब की विधानसभा के सदस्य भी रहे। वे संविधान सभा के भी सदस्य थे। 1952-59 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1960-61 में वे पंजाब विजिलेंस कमेटी के चेयरमैन रहे। 1961 से 63 तक पंजाब पुलिस कमीशन के सदस्य तथा इसी अवधि में पंजाब इक्नोमिक्स कमेटी के चेयरमैन रहे। 1966-67 में उन्हे दिल्ली पुलिस कमीशन का सदस्य बनाया गया था। 1977-79 तक हरियाणा स्टेट विजिलेंस कमेटी के चेयरमैन रहे।
पंडित श्रीराम शर्मा एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ साहित्यकार व इतिहासकार भी थे। उन्होंने 'हरियाणा का इतिहास', 'हरियाणा के नवरत्न' तथा स्वतंत्रता सेनानियों पर कई पुस्तकें लिखी जिन्हे काफी पसंद किया गया। हरियाणा सरकार ने 1976 में उन्हे 'हरियाणा साहित्यकार पुरस्कार' से सम्मानित किया। [1]
पंडित श्रीराम शर्मा का स्वर्गवास सात अक्टूबर 1989 को हुआ था।