सच्चिदानन्द सिन्हा
डॉ सच्चिदानन्द सिन्हा (10 नवम्बर 1871 - 6 मार्च 1950)[1] भारत के प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे। वे भारत की संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में उनका नाम सबसे प्रमुख है। 1910 के चुनाव में चार महाराजों को परास्त कर वे केन्द्रीय विधान परिषद में प्रतिनिधि निर्वाचित हुए। वे प्रथम भारतीय हैं जिन्हें एक प्रान्त का राज्यपाल और हाउस ऑफ् लार्डस का सदस्य बनने का श्रेय प्राप्त है। वे प्रिवी कौंसिल के सदस्य भी थे।
सच्चिदानन्द सिन्हा | |
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Interim President, Constituent Assembly of India
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कार्यकाल 9 December 1946 – 11 December 1946 | |
पूर्व अधिकारी | \ |
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जन्म | 10 नवम्बर 1871 आरा, बिहार |
मृत्यु | 6 मार्च 1950 पटना, बिहार | (उम्र 78 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जीवन संगी | राधिका |
विद्या अर्जन | पटना विश्वविद्यालय |
धर्म | हिंदु धर्म |
हस्ताक्षर |
जीवन परिचय
संपादित करेंडा. सच्चिदानंद सिन्हा का जन्म शाहाबाद जिले के मुरार गाँव के एक कायस्थ कुल में हुआ था । वर्तमान में इनका गाँव बक्सर जिले में है। उनके पिता बख्शी शिव प्रसाद सिन्हा डुमरांव महाराज के मुख्य तहसीलदार थे। डा. सिन्हा की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव के ही विद्यालय में हुई। केवल अठारह वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर 1889 को उन्होंने उच्च शिक्षा के लिये इंग्लैंड प्रस्थान किया। वहां से तीन साल तक पढ़ाई कर सन् 1893 ई. में स्वदेश लौटे। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस वर्ष तक बैरिस्टरी की प्रैक्टिस की। उन्होंने 'इंडियन पीपुल्स' एवं 'हिंदुस्तान रिव्यू' नामक समाचार पत्रों का कई वर्षों तक संपादन किया। बाद में बंगाल से पृथक बिहार के निर्माण में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वे सन् 1921 ई. में बिहार के अर्थ सचिव व कानून मंत्री रहे। तत्पश्चात पटना विश्वविद्यालय में उप कुलपति के पद पर रहते हुए उन्होंने सूबे में शिक्षा को नया मोड़ दिया। [2]6 मार्च 1950 को भारत एवं खास कर बिहार के इस महान सपूत का निधन हो गया। डा.सिन्हा की स्मृति में पटना में सिन्हा पुस्तकालय स्थापित है।