सतलोक आश्रम एक संगठन है, जिसकी स्थापना बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट द्वारा १ जून १९९९ में हरियाणा के करोथा, गांव में की गई। यहां पहली सत्संग १ से ७ जून १९९९ में हुई। वर्तमान में इनके अनेकों आश्रम हैं जो इस प्रकार हैं सतलोक आश्रम धनाना धाम (सोनीपत हरियाणा), सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान), सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल), सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा), सतलोक आश्रम भिवानी(हरियाणा), सतलोक आश्रम शामिली(उत्तरप्रदेश), सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश), सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब), सतलोक आश्रम मुंडका(दिल्ली) संत रामपाल दास हैं।[1]

सतलोक आश्रम
सोजत (पाली) राजस्थान में सतलोक आश्रम
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतामानवधर्म
आश्रम
प्रोविंसभारतवर्ष
क्षेत्रहरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, नेपाल
देवताकबीर साहेब
त्यौहारकबीर साहेब प्रकट दिवस, संत रामपाल जी अवतरण दिवस, संत रामपाल जी बोध दिवस, संत गरीबदास जी बोध दिवस, दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
चर्च या संगठनात्मक स्थितिसंचालित
स्वामित्वबंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट
नेतृत्वसंत रामपाल दास महाराज
अवस्थिति जानकारी
ज़िलापाली
राज्यराजस्थान
देशभारत
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राज्यक्षेत्रएशिया
वास्तु विवरण
स्थापित1999
क्षमता20,00,000
वेबसाइट
https://www.satlokashram.org

नवंबर 2014 में हुई बरवाला की घटना के बाद बरवाला वाला आश्रम सरकार के कब्जे में है।[2]

इतिहास संपादित करें

1994 में, रामदेवानंद महाराज ( गरीब दास पंथ के एक हिंदू संत ) ने संत रामपाल को अपना उत्तराधिकारी चुना। संत रामपाल ने भक्तों को प्रवचन देना और दीक्षा देना शुरू किया।

पहले संत रामपाल भक्तों के घर जाकर सत्संग किया करते थे।  जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ती गई, आश्रम स्थापित करने की आवश्यकता पैदा होती गई। इसलिए, सतलोक आश्रम करौथा 1999 में बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया गया ।

करौंथा की घटना 2006 संपादित करें

2006 में संत रामपाल ने सत्यार्थ प्रकाश के कुछ हिस्सों पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई, जिसे उन्होंने अतार्किक और अव्यवहारिक माना था।

इससे आर्य समाज के अनुयायी नाराज हो गए  और सतलोक आश्रम करौंथा पर हमला करने का प्रयास किया। पुलिस भी वहां मौजूद थी।  आश्रम में महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों सहित लगभग १० हजार भक्त मौजूद थे। पानी और बिजली की आपूर्ति काट दी गई।  १२ जुलाई २००६ को आर्य समाजियों ने आश्रम पर पत्थरों, पेट्रोल बमों से हमला किया और गोलीबारी की।

इस हिंसक झड़प में, आर्य समाज के कुछ अनुयायी मारे गए।[3] संत रामपाल पर हत्या का आरोप लगा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कई महीनों तक जेल में बिताने के बाद, उन्हें 2008 में जमानत पर रिहा कर दिया गया। संत रामपाल और उनके अनुयायियों ने पूरी करौंथा घटनाकी सीबीआई जांच की मांग की[4], लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई।

त्रुटियां (1.)आदरणीय गरीबदास जी , नानक जी , रविदास जी , दादू जी इत्यादि सन्तों ने अपनी वाणी में परमेश्वर कबीर जी की महिमा का गुणगान किया है ।लेकिन अज्ञानी दयानंद ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के 11 वें समुल्लास के पृष्ठ 306 पर पूरी जुलाहा जाति को नीच व मूर्ख लिखते हुए कहा है कि कबीर जी तंबूरा लेकर गाते थे और कुछ नीच जुलाहा आदि लोग उनके साथ जुड़ गए ।

(2)सत्यार्थ प्रकाश के समु . 7 पृष्ठ 155 व 163 में लिखते हैं कि परमात्मा साधक के पाप नाश नहीं करता और महर्षि दयानंद का यह भी कहना है कि सत्यार्थ प्रकाश का ज्ञान वेदों का ही सरल करके लिखा है जबकि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में स्पष्ट रूप से छः बार लिखा है कि परमात्मा साधक के घोर से घोर पापों का भी नाश कर देता है ।

(3)महर्षि दयानन्द द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक में समाज नाश की झलक है , इस पुस्तक के समुल्लास 4 पृष्ठ - 71 पर ही लिखा है कि 24 वर्ष की स्त्री और 48 वर्ष के पुरुष का विवाह करना उत्तम है । क्या ऐसी बात कोई महर्षि , वेदों का ज्ञाता , विद्वान पुरुष कर सकता है ?

(4) महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश से समाज में सिर्फ चरित्र हीनता को बढ़ावा दिया है इस पुस्तक में समुल्लास 4 पृष्ठ 100 पर लिखा है : अगर किसी महिला का पति विदेश में धन कमाने गया हो , तो वह महिला 3 साल पति का इंतजार कर किसी दुसरे पुरुष के साथ नियोग ( सम्भोग ) कर ले अगर दूसरे पुरुष से गर्भ धारण न हो तो तीसरे आदमी से , और उस से भी न हो तो , चोथे - पांचवे - छटे अर्थात ग्यारहवें पुरुष से सम्बन्ध बना सकती है , उनसे उत्पन्न संतान पहले पति की ही मानी जाएगी



(5) सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 11 के पृष्ठ 307 से 309 पर आदरणीय गुरु नानक देव जी को मूर्ख ढोंगी अभिमानी लिखा है तथा पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी को मिथ्या गपोड़ों का संग्रह बताया है ।

(6) महर्षि दयानन्द सरस्वती चतुर्थ समुल्लास के पृ . 100 पर बता रहे हैं कि स्त्री अपने देवर के साथ नियोग कर सकती है । सत्यार्थप्रकाशः १०० प्रश्न : जिस विधवा का देवर अर्थात् पति का छोटा भाई न हो तो नियोग किसके साथ करे ?

सत्यार्थ प्रकाश उत्तर- देवर के साथ परन्तु देवर शब्द का अर्थ जैसा तुम समझे हो , वैसा नहीं देखो ! निरुक्त में - निरु ० अ ० ३ खण्ड १५ । देवर उसको कहते हैं कि जो विधवा का दूसरा पति होता है , चाहे छोटा भाई वा बड़ा भाई अथवा अपने वर्ण वा अपने से उत्तम वर्णवाला हो , जिससे नियोग करे , उसी का नाम ' देवर है। । देवरः कस्माद् द्वितीयो वर उच्यते । क्या महर्षि जी के इस सिद्धान्त से परिवार में शान्ति रह सकती है ?

(7) सत्यार्थ प्रकाश समु . 4 पृष्ठ 102 पर ही लिखा है कि यदि किसी का पति मारता - पीटता हो तो उस स्त्री को चाहिए कि वह किसी अन्य पुरुष के पास जाकर गर्भ धारण करले तथा सन्तान उत्पत्ति करले । वह गैर सन्तान भी विवाहित जीवित पति की मानी जाएगी । उसकी सम्पत्ति की भागीदार मानी जाएगी । जीने विचार करें बुद्धिमान समाज क्या ऐसी बातें महर्षि या विद्वान या समाज सुधारक कह सकता है ? ऐसा विधान तथा नियम या तो महामूर्ख या भांग पीकर ही कह सकता है

(8) समु . 4 पृष्ठ 71 पर लिखा है कि कैरी आँखों वाली लडक़ी से विवाह मत करो , दांत युक्त लडक़ी से विवाह करो , किसी का नाम पार्वती , गोदावरी , गोमति आदि नदियों और पर्वतों पर हो उस लडक़ी से विवाह मत करो ।

विचार करें : - क्या महर्षि दयानन्द के विधान अनुसार बच्चों का विवाह हो सकेगा ? क्या यही महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का समाज सुधार है

(9) दयानंद सरस्वती की अज्ञानता दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 8 पृष्ठ 197 पर लिखा है कि सूर्य आदि पर भी मनुष्यादि सृष्टि है । वहाँ पर भी वेद पढ़े जाते हैं । जबकि आज हमें मालूम है कि सामवेद सूर्य एक आग का गोला है जहाँ मनुष्य के रहने का सवाल ही नहीं बनता ।

(10) डॉक्टर कहते हैं कि बच्चे को छः माह तक मां का दूध पिलाना चाहिए ।

लेकिन महर्षि दयानंद जी अपने सत्यार्थ प्रकाश के समु . 4 पृष्ठ 82 में कहते हैं कि बच्चे को मां का दूध छः दिन से ज्यादा नहीं पिलाना चाहिए नहीं तो मां अपना सौंदर्य खो देगी । क्या ऐसे विचार एक महर्षि के हो सकते है ?

(11) स्वामी दयानन्द भांग पीते थे तथा माता - पिता की सेवा करने के विरोधी थे।

पुस्तक : महर्षि दयानन्द समग्र द्रन्ति के अग्रदूत पृष्ठ 8 तथा 21 पर तथा पुस्तक " नवजागरण के पुरोधा दयानन्द सरस्वती " पृष्ठ 36 पर लिखा है कि स्वामी दयानन्द जी ने अपने जीवन चरित्र में स्वयं ही स्वीकार किया है कि वे माता पिता की सेवा करने के विरोधी थे तथा स्वामी दयानन्द जी भांग पीते थे तथा भांग की मादकता से बेसुध हो जाते थे ।

और कई ऐसे तथ्य है जिनको संत रामपाल जी ने दुनिया के सामने लाकर रखा है जिसके कारण आर्य समाजियों ने आश्रम पर हमला किया था।

बरवाला की घटना 2014 संपादित करें

उनके अनुयायियों द्वारा अदालत की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाने के बाद 2014 में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।  १२ नवंबर २०१४ को पुलिस उन्हें हिरासत में लेने गई।

18 नवंबर तक, हिसार में उनके सतलोक आश्रम को उनके हजारों अनुयायियों द्वारा संरक्षित किया गया था, जो 'सत साहेब' बोल रहे थे। 20,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने आश्रम में जाने का प्रयास, लेकिन रामपाल को गिरफ्तारी के लिए नहीं पाया।  पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए आश्रम के पीछे कीhj तरफ दीवार तोड़ने के लिए पृथ्वी मूवर्स का इस्तेमाल किया, लेकिन बड़ी संख्या में अनुयायियों द्वारा विरोध किया गया, जिन्होंने अपनी प्रविष्टि को रोकने के प्रयास में कुछ पुलिस कर्मियों को कथित रूप से घायल कर दिया। उनके आश्रम में पाँच महिलाओं और एक बच्चे के शव मिले थे।

रामपाल को 19 नवंबर 2014 की रात को उनके 900 से अधिक अनुयायियों के साथ देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, साजिश, अवैध हथियारों को जमा करने और आत्महत्या करने वालों को मदद करने और आत्महत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था[5]।  रामपाल को २९ अगस्त को अदालत में गलत तरीके से कैद करने के आरोपों से बरी कर दिया गया।[6][7] आश्रम पर हुई पुलिस कार्रवाही के दौरान हुई मौतों के लिए संत रामपाल को सेशन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के कारण वे जेल में है।

आश्रमों में होने वाले बड़े समागम संपादित करें

सतलोक आश्रम में प्रतिवर्ष 6 बड़े समागम होते हैं, उनका उल्लेख निम्नानुसार है

संत रामपाल बोध दिवस संपादित करें

बोध दिवस एक घटना की यादगार में मनाया जाता है जब संत रामपाल जी को कबीर परमात्मा आकर मिले थे । कहा जाता है कि कबीर परमात्मा ने ही संत रामपाल जी को गुप्त नाम को उजागर करने का आदेश दिया था।

संत गरीबदास जी बोध दिवस संपादित करें

ऐसा मानाजाता है कि बोध दिवस फाल्गुन शुुक्ला द्वादशी सम्वत् १७८४ सन् १७२७ के दिन गरीबदास जी को कबीर परमात्मा मिले तथा ऊपर के सभी लोकों को दिखाया तथा फिर से शरीर में छोड़ दिया। तभी से वे उसी ज्ञान के पद गाने लगे जो ज्ञान कबीर साहेब ने दिया था तथा कबीर सागर में लिपिबद्ध है। और इस दिन को गरीबदास जी का बोध दिवस के रूप मे मनाया जाता है।[8][9]

संदर्भ संपादित करें

  1. "सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल बरी, लोगों को बंधक बनाने का था आरोप". आज तक. अभिगमन तिथि 2021-01-11.
  2. "सतलोक आश्रम के रामपाल को हिसार की जिला अदालत ने दो मामलों में किया बरी". NDTVIndia. अभिगमन तिथि 2021-01-11.
  3. "2006 Karontha Ashram Case (Full Details) – Sant Rampal Ji accused of murder – Satlok Ashram" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-01-16.
  4. "रामपाल पहुंचे हाईकोर्ट, दर्ज मामलों की जांच सीबीआई से करवाने की अपील". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2021-01-16.
  5. "Indian Guru Rampal arrested after deadly ashram clashes". BBC News (अंग्रेज़ी में). 2014-11-19. अभिगमन तिथि 2021-01-16.
  6. "सतलोक आश्रम के रामपाल को हिसार की जिला अदालत ने दो मामलों में किया बरी". NDTVIndia. अभिगमन तिथि 2021-01-16.
  7. Vasudeva, Vikas (2017-08-29). "Sant Rampal acquitted in two criminal cases". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2021-01-16.
  8. "गरीब दास", विकिपीडिया, 2023-11-22, अभिगमन तिथि 2024-03-18
  9. "गरीब दास - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर". amp-bharatdiscovery-org.cdn.ampproject.org. अभिगमन तिथि 2024-03-18.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें