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कोडुंगल्लूर भारणी
संपादित करें[1] केरल के कोडुंगल्लूर में स्थित प्रसिद्ध देवी मंदिर, कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर (जिसे श्री कुरुंबा भगवती मंदिर भी कहा जाता है) में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार देवी भद्रकाली को समर्पित है, जो शक्ति और विजय की देवी मानी जाती हैं। कोडुंगल्लूर भारणी विशेष रूप से अपनी परंपराओं, अनोखी रस्मों और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
त्योहार का महत्व:
संपादित करेंकोडुंगल्लूर भारणी देवी भद्रकाली की आराधना और उनकी शक्ति का उत्सव है। ऐसा माना जाता है कि देवी ने दारुक नामक दैत्य का वध किया था, और यह उत्सव उसी विजय का प्रतीक है। त्योहार के दौरान, भक्त देवी के प्रति अपने असीम भक्ति और कृतज्ञता को विभिन्न तरीकों से प्रकट करते हैं।
त्योहार की प्रमुख विशेषताएँ:
संपादित करें[2] 1. समय और तिथियाँ: कोडुंगल्लूर भारणी का आयोजन हर साल मलयालम कैलेंडर के मीनम मास (मार्च-अप्रैल) में होता है। इस दिन विशेष रूप से "भारणी नक्षत्र" (तारा) का संयोग होता है, जिससे इस त्योहार को "भारणी" नाम दिया गया है।
2. भरनी गीत (भरनी पाट्टु): त्योहार के दौरान भक्त "भरनी पाट्टु" नामक विशेष गीत गाते हैं। यह गीत देवी की महिमा और उनकी वीरता का वर्णन करता है। गीतों में लोक संगीत और पौराणिक कथाओं का समावेश होता है।
3. कोडुंगल्लूर मंदिर की रस्में: त्योहार के दौरान, कवदी कनाक्कर (Kavadi Kanakkar) नामक भक्तगण विशेष परिधान पहनते हैं और देवी को खुश करने के लिए नृत्य करते हैं। भक्तगण देवी को प्रसन्न करने के लिए एक अनूठी प्रथा का पालन करते हैं, जिसमें मंदिर के प्रांगण में लकड़ियों, पत्थरों या नारियल को फेंका जाता है। इसे देवी के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। 4. भक्तों का जुनून: इस त्योहार की सबसे अनोखी विशेषता है भक्तों का उत्साह और तीव्रता। देवी के प्रति अपनी भक्ति दिखाने के लिए, कुछ भक्त असामान्य तरीकों का पालन करते हैं। कुछ लोग शरीर को रंगते हैं, जबकि कुछ देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए भिन्न-भिन्न अनुष्ठान करते हैं।
5. त्योहार और सतीकृत विचारधारा: कोडुंगल्लूर भारणी का उद्देश्य सामाजिक समरसता और भक्ति को बढ़ावा देना है। यह त्योहार सभी जातियों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाने का काम करता है।
कोडुंगल्लूर भारणी से जुड़ी मान्यताएँ: [3] देवी भद्रकाली के मंदिर का निर्माण परशुराम ने किया था। ऐसा माना जाता है कि देवी के क्रोध को शांत करने के लिए भक्तगण इन तीव्र रस्मों का पालन करते हैं। मंदिर में केवल महिलाओं को विशेष गीत गाने की अनुमति है, जिसे "कनीन पाट्टु" कहा जाता है। समकालीन चुनौतियाँ: हालांकि यह त्योहार परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम है, आधुनिक समय में इसके दौरान होने वाली कुछ घटनाओं, जैसे अत्यधिक उन्माद और सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासनहीनता, को लेकर आलोचना भी होती है।
निष्कर्ष:
संपादित करेंकोडुंगल्लूर भारणी केरल की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक प्रतीक है। यह न केवल देवी भद्रकाली के प्रति भक्ति का उत्सव है, बल्कि यह उस शक्ति, साहस और सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है जिसे यह त्योहार बढ़ावा देता है। इस त्योहार को देखने और इसमें भाग लेने के लिए हर साल सैकड़ों पर्यटक और भक्त देश-विदेश से यहां आते हैं।
- ↑ Wikipedia contributors. (2024, February 17). Kodungallur Bharani festival. Wikipedia. https://en.wikipedia.org/wiki/Kodungallur_Bharani_festival
- ↑ Menon, M. (2016, April 8). Kodungalloor Bharani decoded. Kodungalloor Bharani Decoded. https://www.onmanorama.com/travel/kerala/2018/06/30/kodungalloor-bharani-decoded.html
- ↑ Rajendran, A. (n.d.). Kodungallur Bharani Festival in 2025 – Kodungallur Devi Temple Kavu Theendal Festival in Meenam Month in 2025. Hindu Blog. https://www.hindu-blog.com/2012/03/kodungalloor-bharani-festival.html