सदस्य:Aishwarya snowy/प्रयोगपृष्ठ
बहुराश्ट्रीय संगटन वो होता है जो एक या एक से ज़्यादा राज्यो मे वस्तुओ और सेवाओ का उथ्पादन करते है। इन संगटनाओ को अंताराश्ट्रीय निगम भी कह्ते है। बहुराश्ट्रीय संगटन हमेशा बडा संगटन होता है जो विदेश राज्यो मे वस्तुओ और सेवाओ उत्पादन करते है। इस्को बहुराश्ट्रीय संगटन तभी कह सकेंगे जब यह एक या एक से ज़्यादा राज्यो मे पञीक्रुत हुआ है। अगर बहुराश्ट्रीय संगटन प्रभावी ढंग से राज्य्विहीन है तो इसका नैतिक और कानूनी सम्स्या यह था कि बीस्वी सदी के दौरान हुई आर्थिक सामाजिक समस्यओ का उभरना। सबसे पेह्ला बहुराश्ट्रीय संगटन इस्ट इंडिया कंपनी सन १६०० बिसी मे स्थापित हुआ था। ईस्ट इन्डिया कंपनी के बाद डच इस्ट इंडिया कंपनी क स्थापन सन मार्च २० १६०२ हुआ जो करीबन २०० वर्श तक विश्व का सब्से बडा बहुराश्ट्रीय कंपनी रहा था। बहुराश्ट्रीय कंपनियो के विशेश्ताएँ:- १) बहुराश्ट्रीय संगटन बहुत बडे आकर मे होता है। इन्के संपत्ती और बिक्री भी बडा होता है। २) बहुराश्ट्रीय संगटन कुछ ही राश्ट्रो मे छल्ता है, जैसे पाचँ या छः राश्ट्रों में। ३) बहुराश्ट्रीय संगटन वस्तुओ और सेवाओ का उत्पादन और वितरन सिर्फ अपने देश मे ही नही पर अन्य देशो मे भि करता है। ४) विदेशी राज्य मे उत्पादन सुदिधाएँ जो बहुराश्ट्रीय संगटन करते है वो विदेशी प्रत्यक्श विवेश के द्वारा होता है। ५) बहुराश्ट्रीय संगटन का उत्पादन और विपणन सुविदाएँ अन्य देशो मे शाखाएँ, सहायक कंपनियों और संयुक्त अपक्रं आदी के द्वारा होयत है अथिथी देश मे। ६) करीबन २५ शतमान आय बहुराश्ट्रीय संगटन को विदेशी संचालन से मिल्ता है। ७) बहुराश्ट्रीय संगटनो के पास विशेशग्य करमियों के प्रबंध् संघ है जो अन्य विदेशी रज्यो से है। ८) बहुराश्ट्रीय संगटना के बडा आकार के वजह से इन्हे बाज़ार मे प्रमुख स्थान है। ९) बहुराश्ट्रीय संगटनो के पास पेशेवर प्रबंध है। इस्क मत्लब है, बहुराश्ट्रीय संगटन व्यवसाय योजना के रूप से प्रशिक्शिक प्रबंध्को को कार्य नियंत्रण के लिये नियमित किया हुआ है। १०) बहुराश्ट्रीय संगटन अप्ने अतिथि राज्यों के लिये जटिल प्रोदयोगिकी को सुविधाजनक बनाना चाहिए। बहुराश्ट्रीय संगटन का अतिथी राज्यों मे या विदेशी राज्यो मे विभिन्न तारिकों मे संचालित होता है, वे है:- १) मतधिकार सम्जौता के मध्यम से:
यह सम्जौता मे एक बहुराश्टीय संगटन अतिथी राज्यो मे लईसेंस या मताधिकार देकर संचलित होत है। ऐसे करने से बहुराश्ट्रीय संगटन अपने अतिथी देशों के व्यापार चिन्ह, पेटेण्ट, ब्रांड का नाम आदि इस्तेमाल कर सकते है।
२)शाखा के माध्यम से:
यह सम्जौता मे एक बहुराश्ट्रीय संगटन अतिथी देशो मे खुद का शाखाएँ स्थापित करते है और अतिथी देशों से अनुरोध करते है कि वे अप्ने गतिविधियाँ बहुराश्ट्रीय संगट्नों या मुख्य कार्यालय् के प्रत्यक्श नियंत्र्ण के द्वार करे।
३)सहायक कंपनी के माध्यम से:
यह सम्जौता मे, एक बहुराश्ट्रीय संगटन अप्ने गतिविधियाँ या संचालन अतिथी देशों मे कुछ सहायक कंपनी को स्थापित करके उन्के द्वार करते है।
४) संयुक्त उपक्रम के माध्यम से:
यह सम्जौता मे, एक बहुराश्ट्रीय संगटन अप्ने गतिविधियाँ या संचालन अतिथी देशों के स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम मे प्रवेश करके करते है। इन कंपोनियों के साथ् बहुराश्ट्रीय संगटन उत्पादन, उत्पादों के बिक्री और लभ और नुक्सान भि बांनटते है।
५) तैयार्शुद परियोजना के माध्यम से:
यह सम्जौता मे, एक बहुराश्ट्रीय संगटन अप्ने गतिविधियाँ या संचालन अतिथी देशों के सरकार मे प्रवेश करके उनके द्वारा आमंत्रित किया गया बोलि या निविदाओं मे भाग लेके अतिथी देशों के सरकार को मदद करके करते है।
बहुराश्ट्रीय संगटणओं के नुकसान: १) बहुराश्ट्रीय संगटण अपने देशों का अधिक से अधिक लाभ के लिए काम करते है, अतिथी राज्य्ं के विकसात्मक जरूरतों के लिए नही। २) बहुराश्ट्रीय संगटण अतिथी राज्यों मे प्रतिद्वंद्विता को नाश कर्ते है और एएकाधिकार शक्ती प्राप्त करते है। ३) बहुराश्ट्रीय संगटणों को मानव अधिकार का सम्मान ना करने का अभियुक्त किया गया है। ४) बहुराश्ट्रीय संगटणों के गतिविधियाँ अतिथी राज्यों के लिए अक्सर हानिकारक है क्यूँकि वे अतिथी राज्यों के आर्थिक शक्ती को अप्ने शक्ती से कंज़ोर करते है। ५) बहुराश्ट्रीय संगटणों के वजह से अतिथी राज्यों के गैर अनवीकरणीय संसाधन क तेज़ी से कम होता है। ६) बहुराश्ट्रीय संगटणों ने अतिथी राज्यों के कर्चारियों का दोहन किया है, यद्यपि उन्हे अत्यन्त भुग्तान किया गया है।
निर्देश:
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