पाणियो का आथिर्क महत्व

पक्षियों का आर्थिक महत्व

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मानव समाज में पक्षियों का हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वे हमें भोजन, औषधि, उर्वरक और मधुर गीत प्रदान करते हैं। वे परागण की भी एक बड़ी वजह हैं। इसके साथ साथ, मनोरंजन के विभिन्न स्रोतों के रूप में भी उनका उपयोग किया जाता है और वे हानिकारक फसल कीटों को नष्ट कर के, जैव नियंत्रण में भी हमारी सहायता करते हैं। उनके कई लाभकारी पेहलुओ के बावज़ूद, कुछ पक्षी, मानव जाति के लिए हानिकारक होते हैं।[1] पक्षियों के सभी प्रकार के आर्थिक महत्व का अध्ययन, निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है।

लाभकारी पक्षी

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कुछ लाभकारी पक्षियों का विवरण-

भोजन के रूप में

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अंडे

मनुष्य, पक्षियों के मांस और अंडों को भोजन के रूप में इस्तमाल करता है। साँप, बिल्ली, नेवला आदि जैसे कुछ जानवर भी छोटे पक्षियों और उनके अंडों पर शिकार करते हैं। चूज़ें, बतख, कलहंस, कबूतरों, तुर्कियों आदि जैसे कुछ पक्षियों के मांस को बहुत स्वादिष्ट माना जाता है। इन पक्षियों की कई प्रजातियाँ का पालन और संकरण, उच्च गुणों के पंख, मांस, आदि के लिए, कई सालों से किया जा रहा है। घरेलु मुर्गी के अंडों को, दूध के बाद, सर्वश्रेष्ठ मानक भोजन माना जाता है। इन अंडों का उपयोग टाॅफी, पेस्ट्री, केक और बिस्कुट बनाने में भी किया जाता है। मुर्गी के मांस और अंडों की बड़ी मांग ने ही पोल्ट्री उद्योग को जन्म दिया है।

मांस और अंडों के अलावा, कुछ पक्षियों के घोसलों का भी खाद्य मूल्य होता है। उदहरण के लिये - चीनी, स्विफ्ट नामक पक्षी के एक विशेष प्रजाति के घोसलों का भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन घोसलों में टॉनिक के गुण होते है और यह केवल लार स्रवण से बनाये जाते हैं।

चिकित्सा में

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कुछ पक्षियों के पंख और मांसपेशियों का उपयोग, कुछ आयुर्वेदिक और युनानी दवाओ में किया जाता है। युनानी प्रणाली में, क्षयरोग और छाती रोगों के रोगियों को कबूतर के शव को अपने छाती के संपर्क में रखने को निर्धारित किया जाता है। कबूतर के मांस को पक्षागात के रोगियों के लिये अच्छा माना जाता है। मुर्गी के अंडों का उपयोग कई टॉनिक और दवाए में किया जाता है। मुर्गी के अंडों का महान प्रयोगात्मक मूल्य भी होता है क्योंकि उनका उपयोग, मीडियम के रूप में, बैक्टीरिया, वायरस, कवक, आदि के संवर्धन को उगाने में किया जाता है।

सजावटी और वाणिज्यिक मूल्य

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मोर पंख

विभिन्न पक्षियों के सादे या बहुरंगी पंख, मनुष्य के लिये महान आर्थिक महत्व रखते हैं। वे बड़े पैमाने पर तकिए, रज़ाई, कंबल, कपड़ो आदि के लिए इस्तमाल किए जाते हैं। कुछ जलीय पक्षियों, जैसे कलहंस और बतख के डाऊन फेदर का उपयोग आर्कटिक वस्त्र और स्की पोशाक बनाने में किया जाता है।

सुंदर और विशिष्ट रंगों के पंख का उपयोग घर के सजावट में और आधुनिक महिलाओ और देशी लोगों द्वारा अलंकरण में किया जाता है। अमरीका के रेड इंडियन, सुनहरे बाज़ के पंख का उपयोग अपने औपचारिक साफा बनाने में करते हैं और सजावट के लिये घाटी बटेर के पंख का इस्तमाल करते हैं। कई पाले हुए पक्षी जैसे शुतुर्मुर्ग, रिया आदि हमें अलंकारिक पंख प्रदान करते हैं। बैडमिंटन शटलकॉक को भी पंख से बनाया जाता है। कई मूल निवासी अपने तीर को और आगे तक मारने के लिये, पंखों का उपयोग करते हैं। अर्जेंटीना और ब्राजील में रिया के पंख को डस्टर के रूप में इस्तमाल किया जाता है। भारत में मोर के पूछ के पंख का उपयोग, घर के सजावट, अलंकरण और खिलौने बनाने में किया जाता है। मुगल काल में, पक्षियों के लंबे पंख का उपयोग, कलम के रूप में किया जाता था।

कृषि मूल्य

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पक्षियों का महान कृषि मूल्य होता है क्योंकि वे परागण में, जैव नियंत्रण में और उर्वरक के रूप में हमारी सहायता करते हैं।

परागण में

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कई छोटे पक्षी जो मीडो के फूलदार पौधों पर रहते है, परागण में सहायता करते हैं। कुछ फूल के परागण केवल पक्षी द्वारा किये जा सकते हैं और यह फूल सिर्फ पक्षियों के लिये प्रतिक्रिया दिखाते हैं। फल खाने वाले पक्षी, बीजों के दूर-दूर तक प्रसार मे मदद करते हैं।

उर्वरक के रूप में

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पक्षियों के मल में नाईट्रोजन, फॉस्फेट, कैलिश्यम और लोहे की उपस्तिथि होती है और इसे गुआनो[2] के नाम से जाना जाता है। इसका, बड़े पैमाने पर, उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। चिली के तट के द्वीपों पर कम बर्सात होती है और इस स्थान को कई प्रवासी और समुद्री पक्षियों के प्रजानन के लिये इस्तमाल किया जाता है। इसलिए यहॉ भारी मात्रा में, गुआनो का संचय होता है और यहॉ से उसको अन्य देशों में निर्यात किया जाता है।

जैव नियंत्रण में

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पक्षी हानिकारक फसल कीटों को मार कर जैव नियंत्रण में किसानों की बहुत सहायता करते हैं। बीज खाने वाले पक्षी, हर साल हज़ारों टन के जंगली घास के बीज का उपभोग करते हैं और इसी तरह खेत के जंगली घास को काबु में रखते हैं। उसी प्रकार, कीटभक्षी पक्षी लाखों टन के हानिकारक फसल कीड़ो और उनके लार्वा का उपभोग करते हैं। उल्लु, गरुड और बाज़ जैसे कुछ मांसाहारी पक्षी, चूहे, छुछुंदर, गिलहरी, खरगोश और अन्य कृंतकों का शिकार करते हैं और इस तरह फसल को नष्ट होने से बचाते हैं।

मुर्दाखोर के रूप में

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गिद्ध

गिद्ध, बाज़, गरुड, कौवे आदि जैसे मुर्दाखोर पक्षी का महान स्वास्थ्य्कर मूल्य होता है क्योंकि वे जानवर के लाश और सड़े हुए कार्बनिक पदार्थ का उपभोग करते है। वे लाशों के सड़न से होने वाले रोगों के प्रसार को काबु में रखते हैं। मवेशी इग्रेट, अफ्रीकी मैना, मगर्मच्छ पक्षी आदि जैसे कई मुर्दाखोर पक्षी जो जंगली जानवर पर रहते है, उनके शरीर से परजीवी निकालते है।

विविध मूल्य

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ऊपर वर्णित मूल्यों के अलावा, पक्षियों के और भी कई गुण है जिसका उपयोग मनुष्य द्वारा किया जाता है।

शिकारी के रूप में

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मोर, गरुड, चील और अन्य मासाहारी पक्षी कई विषैली और हानिकारक जानवर जैसे साँप, बिच्छू आदि के विध्वंसक हैं।

संदेशवाहक के रूप में

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अनादिकाल से कबूतर के कुछ प्रजातियों को युद्ध और प्रेम संबंध के मामलों में संदेश्वाहक बनने की प्रशिक्षण दी गई है।

संकेत के रूप में

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कई पक्षी हमें मौसम के परिवर्तन का संकेत देते हैं। भारत में, कोयल का दिखाई देना, बसंत ॠतु के शुरुआत की ओर संकेत करता है। मेघाच्छादित मौसम में, मोर की नृत्य और विशेष आवाज़, बर्सात की ओर संकेत करता है। कुछ पक्षी आपत्ति का इशारा कर, शिकारियों की सहायता भी करते हैं।

मनोरंजन मूल्य

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मनुष्य बतख, बटेर, तीतर आदि का उपयोग शिकार के लिये करता है जो मनोरंजन का एक स्रोत है। कोयल, बुलबुल और कनारी जैसे पक्षी, अपने सुरीली और मीठी आवाज़ से लोगों को आनंद देते है। मैना और तोते मानविय आवाज़ की नकल कर हमारा मन बहलाते है। सड़क के किनारे ज्योतिषी भी तोतों का उपयोग करते हैं।

हानिकारक पक्षी

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उनके महान सकरात्मक आर्थिक मूल्यों के बावजूद, सभी पक्षी मानवता के लिये लाभकारी नही होते। असल में कई पक्षी, मानवता के लिए भयानक नुक्सान का कारण बन सकते हैं। पक्षियों के कुछ हानिकारक कृत्यों का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है-

खेती के लिये खतरा

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कुछ पक्षी फसल को बहुत नुक्सान पहुँचाते है। वे नये लगाय गए बीज और युवा पौधों को खा जाते है, पत्तियों और फूलों को नष्ट कर देते हैं और फलों को बर्बाद कर देते हैं। मालवा में कौवे मूंगफली खा कर, मूंगफली के फसल को बहुत नुक्सान पहुँचाते है। आॅस्ट्रेलिया में गौरैयों को चिंताजनक फसल नाशक माना जाता है। भारत में, तोते, गौरैयाँ आदि किसानों का बहुत नुक्सान करते है। तोते पक्के और कच्चे फल को नष्ट करते है और मैना धान्य भंडार को नुक्सान पहुँचाते है। कीट खानेवाले पक्षी कभी कभी हानिकारक कीटों को खाते समय, लाभकारी कीड़ो को भी खा जाते हैं।

लाभकारी पशुओं के नाशक

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बाज़, उल्लू आदि चूज़ों का शिकार करते है जिसके कारण पोल्ट्री उद्योग का बहुत नुक्सान होता है। तोते की एक जाति बीमार और कमज़ोर भेड़ के गुर्गे खोद कर निकाल देती हैं।

मत्स्य पालन के लिये खतरा

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कई मछली खाने वाले पक्षी, मछलियों का शिकार करने के कारण मत्स्य उद्योग के लिये हानिकारक साबित होते हैं।

रोगों के वाहक

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कई पक्षी कुछ ऐसे कीड़ो का उपभोग करते है जो हानिकारक कीटाणुओ से संक्रमित होते है और फिर यह पक्षी अपने मलमूत्र को मानव भोजन में डाल देते हैं। इस कारण से, वे खतरनाक रोगों को फैलाने में मदद करते हैं।

मधु मक्खियों के नाशक

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पक्षी, मधु मक्खियों और उनके घोसलों को नष्ट कर के खा जाते है। कुछ पक्षी, बिज्जू के साथ मिलकर काम करते है। वे एक साथ मधु मक्खियों के घोसलों पर आक्रमण करते है। पक्षी, मधु मक्खी और उनके बच्चों को खाते है जबकि बिज्जू, मधु का उपभोग करते है।

पक्षियों के हानिकारक प्रभाव जो कुछ भी हो, उनके उपयोग उससे कई ज़्यादा है। इसलिए हम निश्चंत हो कर यह कह सकते है कि पक्षी मानव जाति के सबसे अच्छे साथी है।

  1. http://www.interlinepublishing.com/user-content-detail-view.php?cid=458 Economic importance of birds
  2. http://www.britannica.com/topic/guano Guano