अर्थागामो नित्यमरोगिता च

  प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।

वश्यश्च पुत्रोऽर्थकरी च विद्या,

   षड्जीवलोकस्य सुखानि राजन्।।

भावार्थ:- हे राजन्! नित्य धनागम, प्रेम करने वाली व सत्य बोलने वाली स्त्री, आज्ञापालक पुत्र तथा धनोपार्जन करने वाली विद्या ये मनुष्य लोक के छः सुख हैं।